घर बनाने से पहले जान लें ये वास्तु के नियम

Edited By Lata,Updated: 05 Feb, 2020 12:25 PM

vastu for home tips

आज के समय में हर एक सपना होता है कि उसके सपनों का महल बेहद ही खूबसुरत हो और उस महल में हर एक

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आज के समय में हर एक सपना होता है कि उसके सपनों का महल बेहद ही खूबसुरत हो और उस महल में हर एक चीज़ वह अपने मुताबिक बना सके। इसके लिए हर इंसान बहुत मेहनत भी करता है, ताकि उसके परिवार में किसिी तरह की कोई कमी न रहे। वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि अगर घर का वास्तु सही है तो घर में रहने वालों सभी सदस्यों की तरक्की होती है। लेकिन वहीं अगर वास्तु दोष हो तो परिवार के सदस्यों को नुकसान उठना पड़ता है। आज हम आपको इसी से जुड़े कुछ उपाय बताने जा रहे हैं कि घर की कौन सी दिशा में क्या होना चाहिए। 
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मुख्य द्वार
पूर्व-उत्तर दिशा सूर्योदय की दिशा होने की वजह से इस तरफ से सकारात्मक व ऊर्जा से भरी किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। घर के मालिक की लंबी उम्र और संतान सुख के लिए घर के मुख्य दरवाजे और खिड़की सिर्फ पूर्व या उत्तर दिशा में होना शुभ माना जाता है।
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पूजाघर
उत्तर-पूर्व दिशा घर की पवित्र दिशा मानी जाती है और ऐसे में यहां पूजा का स्थान सबसे अहम होना चाहिए। पूजा घर से सटा हुआ या ऊपर या नीचे की मंजिल पर शौचालय या रसोईघर नहीं होना चाहिए। 
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रसोई
दक्षिण-पूर्वी दिशा रसोईघर के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिशा में रसोईघर का स्थान होने से परिवार के सदस्यों सेहत अच्छी रहती है। यह ‘अग्नि’ की दिशा है इसलिए इसे आग्नेय दिशा भी कहते हैं। 

शयनकक्ष 
बेडरूम के लिए मकान की दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम ठीक होती है। लेकिन ध्यान रहे कि शयनकक्ष में बेड के सामने आईना और दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं। बिस्तर पर सोते समय पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए।  

अतिथि कक्ष
उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा मेहमानों के लिए अति उत्तम मानी गी है। अतिथि कक्ष को भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। 
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शौचालय 
शौचालय भवन के नैऋत्य यानि पश्चिम-दक्षिण कोण में या फिर नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना शुभ माना जाता है। 
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स्टडी रूम 
वास्तु में पूर्व, उत्तर, ईशान तथा पश्चिम के मध्य में अध्ययन कक्ष बनाना शुभ होता है। पढ़ाई करते समय दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार से सटकर पूर्व तथा उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

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