वास्तुशास्त्र: सुखी जीवन की गारंटी हैं ये सुझाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Dec, 2017 01:37 PM

vastu shastra these suggestions are guaranteed for a happy life

सुखी जीवन के लिए भवन निर्माण हेतु वास्तुशास्त्र के प्रमुख नियमों को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि नक्शा बनाने वाला आर्किटैक्ट एक उत्तम डिजाइन वाला भवन तो बना सकता है परंतु उसमें रहने वाले प्राणियों के सुखी जीवन की गारंटी नहीं दे सकता जबकि...

सुखी जीवन के लिए भवन निर्माण हेतु वास्तुशास्त्र के प्रमुख नियमों को अवश्य ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि नक्शा बनाने वाला आर्किटैक्ट एक उत्तम डिजाइन वाला भवन तो बना सकता है परंतु उसमें रहने वाले प्राणियों के सुखी जीवन की गारंटी नहीं दे सकता जबकि वास्तुशास्त्री इस बात की गारंटी देता है, अत: वास्तुशास्त्र के आधार पर आदर्श मकान कैसा हो, इसकी बिंदुवार संक्षिप्त व्याख्या इस प्रकार है : 


घर, दुकान और आफिस का मुख्य द्वार, उत्तर, पूर्व, पश्चिम में सर्वश्रेष्ठ होता है तथा गृह स्वामी के लिए यश, वैभव, सुख, सम्पन्नता के साधन बनाता है, परंतु दक्षिणमुखी मुख्यद्वार या दक्षिण से वायु और रोशनी, सूर्य की किरणें आने से विभिन्न विपत्तियां घेरने लगती हैं। उदाहरण के लिए गृहलक्ष्मी एवं धन-लक्ष्मी नष्ट होने लगती है, पत्नी का स्वास्थ्य ढीला, पति-पत्नी में मनमुटाव व कटुता, मुकद्दमेबाजी, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति, धन हानि तथा अन्य नुक्सान, बच्चों की शिक्षा अपूर्ण या परेशानियों के साथ होना इत्यादि। 


इसके निवारण के लिए समय-समय पर साबुत (छिलके वाली) उड़द को जल में प्रवाहित करें और मार्बल या मिट्टी का बंदर मुख्य स्थान में रखें जिससे सूर्य की अशुभता दूर हो जाती है, क्योंकि पति-पत्नी में इन दिनों संबंध विच्छेद का एक मुख्य कारण यह भी है।


गैस एवं बिजली के उपकरण आग्नेय (दक्षिण पूर्व) कोण में रखें तथा मंदिर में भी धूप-अगरबत्ती आग्नेय कोण में रखें। कभी भी (उत्तर-पूर्व कोण) ईशान दिशा में न रखें, अन्यथा मानसिक क्लेश रहेगा।


घर को हमेशा चौरस (चौकोर या आयताकार अर्थात चौड़ाई से लम्बाई दूनी हो) बनाएं।


सीढिय़ों के नीचे कभी भी रसोई, टायलैट इत्यादि न बनाएं, नहीं तो पीढ़ी-दर पीढ़ी पुत्र, पुत्रियां एवं पुत्रवधू आदि परेशान होंगे। उन्हें कोई जानलेवा बीमारी होने लगेगी, जातक का कारोबार, व्यापार नष्ट होने लगेगा और ऊपरी हवा (भूत प्रेत, पिशाच) आदि का प्रभाव पडऩे लगेगा।


घर या दुकान दक्षिण दिशा में ज्यादा ऊंची, पश्चिम में ऊंची भारी, पूर्व एवं उत्तर में खाली हल्की, नीची या कम ऊंची व कम भारी रखें। कमरों एवं घर में सामान भी इसी प्रकार रखें। उत्तर एवं पूर्व में भारी एवं ऊंचा सामान रखने से व्यापार-कारोबार में रुकावटें, मानसिक परेशानियां आने लगेंगी, अत: घर एवं कमरों के बीच के स्थान को भी खाली (अन्यथा हल्का सामान) रखें, क्योंकि यह ब्रह्म स्थान है। यहां कोई सामान भूल कर भी न रखें।

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