Edited By Lata,Updated: 30 Jul, 2018 03:48 PM
हमारे शरीर के बारे में कई ऐसी बातें हैं, जिनसे हम शायद ही वाकिफ हों। हमारी बाडी में अनेकों रोग पैदा हो सकते हैं।
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हमारे शरीर के बारे में कई ऐसी बातें हैं, जिनसे हम शायद ही वाकिफ हों। हमारी बाडी में अनेकों रोग पैदा हो सकते हैं। उनके उपचार के लिए डॉक्टर, वैद्य, हकीम क्लीनिक, हॉस्पिटल या नर्सिंग होम से संपर्क करते हैं। लेकिन अगर हॉस्पिटल वास्तु के हिसाब से बना हो तो मरीजों के शीघ्र स्वस्थ्य होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। इसलिए मरीजों के जल्दी ठीक होने के लिए वास्तु के अनुसार अस्पताल होना बहुत जरुरी होता है। तो आज आपको बताएंगे कि हॉस्पिटल वास्तु के मुताबिक कैसा और कहां होना चाहिए।
हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना सबसे अच्छा माना गया है।
डॉक्टर का रुम उत्तर दिशा में, ऑपरेशन थियेटर पश्चिम में, कैश काउंटर दक्षिण-पश्चिम में और मरीजों के साथ आए हुए परिजनों के लिए वेटिंग रूम दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
हॉस्पिटल में एक्स-रे, अल्ट्रासॉउन्ड, एमआरआई आदि मशीन एवं उपकरणों के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा सर्वोत्तम रहती है।
मरीजों के लिए जनरल एवं प्राइवेट वार्ड के कक्ष उत्तर, पश्चिम अथवा उत्तर-पश्चिम दिशा में ही रखने चाहिए। ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण अथवा दक्षिण-पूर्व दिशा में बनवाई जा सकती हैं।
अस्पताल की सीढ़ियों की संख्या हमेशा 11, 15, 17, 23 होनी चाहिए और उत्तर-पूर्व दिशा में सीढ़ियों का निर्माण नहीं कराना चाहिए।
मंदिर या पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में ही बनवाना चाहिए। पीने के पानी की व्यवस्था भी उत्तर-पूर्व में ही की जानी चाहिए।
रुम के बाथरूम उत्तर या पूर्व में, जबकि शौचालय दक्षिण या पश्चिम में बनवाना उपयुक्त माना गया है।
इमरजेंसी रुम के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा को प्रयोग में लाना चाहिए।
हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम की दीवारों पर सफेद या हल्का नीला रंग कराना चाहिए।
मरीज के लिए बेड पर चादर का रंग सफेद हो, जबकि ओढ़ने के लिए कंबल लाल रंग का होना चाहिए।
कमरे की खिड़कियों और दरवाजों पर हरे रंग के परदे लगाने लाभकारी होते हैं।
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