Edited By Lata,Updated: 04 Nov, 2019 04:52 PM
आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफी भ्रम की स्थिति है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आजकल वास्तु के संबंध में लोगों में काफी भ्रम की स्थिति है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। वास्तु शास्त्र का मूल आधार भूमि, जल, वायु एवं प्रकाश है जो जीवन के लिए अति आवश्यक है। इनमें असंतुलन होने से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है। कहते हैं कि वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसके रिश्ते पर भी प्रभाव पड़ता है। वास्तु में रसोई घर के कुछ निर्धारित स्थान दिए गए हैं, इसलिए हमें रसोई घर वहीं पर बनाना चाहिए।
उत्तर-पश्चिम की ओर रसोई का स्टोर रूम, फ्रिज और बर्तन आदि रखने की जगह बनाएं। रसोई घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में गेहूं, आटा, चावल आदि अनाज रखें।
रसोई के बीचों-बीच कभी भी गैस, चूल्हा आदि न जलाएं और न ही रखें।
कभी भी उत्तर दिशा की तरफ मुख करके खाना नहीं पकाना चाहिए। सिर्फ थोड़े दिनों की बात है, ऐसा मान कर किसी भी हालत में उत्तर दिशा में चूल्हा रखकर खाना न पकाएं।
रसोई में हमेशा गुड़ रखना सुख-शांति का संकेत माना जाता है।
टूटे-फूटे बर्तन भूलकर भी उपयोग में न लाएं, ऐसा करने से घर में अशांति का माहौल बनता है।
अंधेरे में चूल्हा न जलाएं, इससे संतान पक्ष से कष्ट मिल सकता है। इसके साथ ही नमक के साथ या पास में हल्दी न रखें, ऐसा करने से मतिभ्रम की संभावना हो सकती है।
वास्तु के अनुसार रसोई घर में कभी न रोएं, ऐसा करने में अस्वस्थता बढ़ती है।
रसोई घर पूर्व मुखी अर्थात खाना बनाने वाले का मुंह पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। उत्तर मुखी रसोई खर्च ज्यादा करवाती है।
रसोई घर की पवित्रता व स्वच्छता किसी मंदिर से कम नहीं होनी चाहिए। ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है।
घर के द्वार पर आगे वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति को स्थान दें। बाहर की दीवारों पर हल्का हरा या पीला रंग लगवाएं।