Edited By Jyoti,Updated: 18 Aug, 2018 01:47 PM
सावन का महीना बारिश के लिए जाना जाता है। इस महीने में हर जगह जमकर बारिश होती है। इसी बारिश का मज़ा लेने के लिए बच्चे-बूढ़े सभी अपने घरों के छतों आदि पर जाकर इसका मज़ा उठाते हैं।
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सावन का महीना बारिश के लिए जाना जाता है। इस महीने में हर जगह जमकर बारिश होती है। इसी बारिश का मज़ा लेने के लिए बच्चे-बूढ़े सभी अपने घरों के छतों आदि पर जाकर इसका मज़ा उठाते हैं। अब बात आती है सीढ़ियों की, घर की तपर जाने के लिे हर घर में सीढ़ी तो बनी हो होती है। लेतिन क्या आप जानते हैं कि आपके घर की सीढ़ी केवल इन्हीं कामों के लिए ही उपयोग नहीं होती। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की सीढ़ियां ही वहां रहने वाले लोगों को तरक्की की ओर ले जाती है। आईए जानते हैं इससे संबंधित कुछ बातें-
वास्तुशास्त्र के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर या पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। अगर आप अपने घर में पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवा रहे हों तो इस बात का ध्यान रखें कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं हो। पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम तीन इंच होने पर घर वास्तु दोष से मुक्त होता है।
सीढ़ी के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति ओर अग्रसर रहता है। वहीं ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदायक होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य उतार-चढ़ाव बना रहता है।
ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखने वाले उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे किरायेदार दिनोदिन उन्नति करते और मालिक मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है।
उपाय
सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाएं। सीढ़ी के नीचे कभी भी जूते-चप्पल और घर का बेकार सामान न रखें।
मिट्टी के बर्तन में बरसात का जल भरकर उसे मिट्टी के ढक्कन से ढंक दें। इसे सीढ़ी के नीचे मिट्टी में दबा दें। माना जाता है ति इससे सीढ़ियों से संबंधित दोष दूर हो जाता है।
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