Edited By Lata,Updated: 05 Jan, 2021 10:44 AM
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम शुरु करने से पहले भगवान गणेश की पूजा को अनिवार्य
हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम शुरु करने से पहले भगवान गणेश की पूजा को अनिवार्य बताया गया है, और इनका प्रतीक चिन्ह स्वास्तिक होता है। मांगलिक कार्य हो या धार्मिक अनुष्ठान स्वास्तिक का चिह्न अत्यधिक मंगल-प्रतीक माना जाता है, इसीलिए हर शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक चिह्न अवश्य बनाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से तो स्वास्तिक का चिह्न शुभ होता ही है, तो वहीं वास्तु में भी स्वास्तिक का बहुत महत्व माना गया है।
स्वास्तिक को वास्तु में भी महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इसे घर में बनाने से हर विघ्न दूर हो जाता है, और साथ ही स्वास्तिक बनाने से उस स्थान की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। ऐसे ही वास्तु में कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताया गया है। जहां पर स्वास्तिक का चिह्न बनाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। चलिए जानते हैं कि वह कौन सा स्थान है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर की दिवारों पर सिंदूर से स्वास्तिक चिह्न बनाना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है, और साथ ही द्वार में वास्तु दोष होने के बुरे प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक बनाने से घर में शुभता और समृद्धि का आगमन होता है।
कहते हैं कि घर में रखी तिजोरी या फिर जहां पर भी धन। और आभूषण रखें जाते हैं। वहां पर स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। तिजोरी में स्वास्तिक का चिह्न बनाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। जिससे आपके धन में बरकत बनी रहती है। और किसी प्रकार से धन की कमी नहीं रहती है।
घर के पूजा स्थान पर स्वास्तिक बनाकर उसके ऊपर देवी-देवताओं की प्रतिमा रखकर पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। ऐसा करने से परिवार में सुख, शांति का वास होता है। और साथ ही घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
वहीं वास्तु में बताया गया है कि मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए प्रतिदिन घर की मुख्य महिला को। सुबह उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद स्नानादि करके पूजा करनी चाहिए और घर की दहलीज की पूजा भी करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले दहलीज को स्वच्छ करके उसके दोनों ओर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं, फिर चावल की एक-एक ढेरी रखें और फिर मां लक्ष्मी का ध्यान करें। ऐसा हर रोज करने से मां लक्ष्मी आपके घर में वास करती हैं और सदा उस घर पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं।
ऐसा माना जाता है कि स्वास्तिक का प्रयोग शुद्ध, पवित्र एवं सही ढंग से उचित स्थान पर करना चाहिए। शौचालय और गंदे स्थानों पर इसका प्रयोग वर्जित है। ऐसा करने वाले की बुद्धि और विवेक समाप्त हो जाता है। दरिद्रता, तनाव और रोग एवं क्लेश में वृद्धि होती है। ऐसा देखने में आता है कि जब लोग अपने नए घर के गृह प्रवेश की पूजा करवाते हैं तो पूरे घर में स्वांस्तिक के चिह्न बनवाते हैं। कई बार बाथरूम के दरवाजे के ऊपर पर स्वारस्तिक का चिह्न बना देते हैं। जो कि सहीं नहीं है, इससे बचना चाहिए।