वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा: रूस की बढ़ती ताकत के पीछे Vastu की अहम भूमिका

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Aug, 2022 02:07 PM

vastus important role behind russias growing power

रूस, पूर्वी यूरोप और उत्तरी एशिया में स्थित एक देश है। यह लगभग 146.7 मिलियन आबादी वाला दुनिया में सबसे अधिक भूमि सीमाओं वाला देश है। यूरोप का सबसे बड़ा शहर ‘मास्को’ इसकी राजधानी है।

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Vastus important role behind Russias growing power: रूस, पूर्वी यूरोप और उत्तरी एशिया में स्थित एक देश है। यह लगभग 146.7 मिलियन आबादी वाला दुनिया में सबसे अधिक भूमि सीमाओं वाला देश है। यूरोप का सबसे बड़ा शहर ‘मास्को’ इसकी राजधानी है। रूस के पास दुनिया में खनिज और ऊर्जा संसाधनों का सबसे बड़ा भंडार है और यह दुनिया में तेल और प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक भी है।

1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) नामक संगठन बना। वर्तमान में अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। सभी ने मिलकर सोवियत संघ को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ टूट गया। 1991 तक यूक्रेन भी सोवियत संघ का हिस्सा था। सोवियत संघ के टूटने से 15 देश अस्तित्व में आये, आर्मीनिया, अजरबैजान, बैलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उज्बेकिस्तान। यह सभी देश रूस के पश्चिम, पश्चिम नैऋत्य एवं दक्षिण नैऋत्य में स्थित हैं। इसमें यूक्रेन सबसे बड़ा देश है, जो रूस के दक्षिण नैऋत्य भाग में स्थित है। युक्रेन की दक्षिण दिशा में Black Sea और आग्नेय कोण में Sea of Azov है।

24 फरवरी 2022 को रूस के राष्ट्रपति श्री ब्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि उन्होंने पूर्वी युक्रेन में विशेष सैन्य अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। श्री पुतिन की घोषणा के कुछ ही मिनटों के भीतर, कीव, खारकीव, ओडेसा और डोनबास में विस्फोटों की सूचना मिली। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कई कारण हैं, परंतु इसमें सबसे बड़ा कारण नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) को माना जा रहा है।

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रूस-युक्रेन युद्ध का मंजर दिल दहलाने वाला है। करीब 5 महीनों से जारी युद्ध की विभीषिका बढ़ती ही जा रही है। रूस के बारूदी गोलों और मिसाइलों ने युक्रेन को राख के ढेर में तबदील कर दिया है। लोगों के घर, कारोबार, दुकानें, फैक्ट्रियां सब कुछ युद्ध की आग में भस्म हो चुके हैं। यूक्रेन में रूसी सैनिक निहत्थों को मार रहे हैं और यूक्रेन निवासी रूस के सैनिकों को।

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने मान लिया कि यूक्रेन पर कब्जे के बिना रूस अधूरा है। इस कारण लाखों लोगों की जान आज खतरे में है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव का भी कहना है कि रूस यूक्रेन में अपने विशेष सैन्य अभियान को तब तक जारी रखेगा जब तक कि उसके सभी लक्ष्य हासिल नहीं हो जाते।

यूक्रेन पर रूसी हमले ने पूरे यूरोप, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया को बुरी तरह हिला दिया है। इसी कारण दुनिया भर के समृद्धशाली देशों का रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाना जारी है। अब रूस की गिनती ऐसे देश के रूप में हो गई है, जिस पर सबसे ज्यादा प्रतिबंध हैं। इससे पहले यह रिकॉर्ड ईरान के पास था। यूरोप और अमेरिका रूसी धमकी का जवाब तो देना चाहते हैं लेकिन केवल आण्विक युद्ध से बचने के लिए अपने सैनिक यूक्रेन नहीं भेज रहे हैं।

आइए, रूस की भौगोलिक स्थिति का वास्तु विश्लेषण करके देखते हैं कि क्या कारण हैं कि ब्लादिमीर पुतिन अमेरिका और यूरोप इत्यादि देशों के दबाव के बाद भी युद्ध बन्द करने को तैयार नहीं हो रहे हैं।

रूस का ईशान कोण बढ़ा हुआ है। रूस के उत्तर में कारा सागर (Kara Sea), लापतेव सागर (Laptev Sea), पूर्वी साइबेरियाई सागर (East Siberian Sea) और चुच्चकी सागर (Chukchi Sea) है तथा पूर्व में बेरिंग सागर (Bering sea) है। रूस के दक्षिण में मंगोल और नैऋत्य कोण में कजानिस्तान की पहाड़ियां हैं। इन भौगोलिक वास्तु अनुकूलता के कारण यह ताकतवर एवं समृद्धशाली देश है।

रूस का आग्नेय कोण बढ़ा हुआ है और यहीं पर ओखोट्स्की सागर (Sea of Okhotsk) है। इस कारण रूस को विवादों के कारण लड़ना पड़ता है। रूस के ईशान कोण एवं पूर्व में ऊंचाई के कारण ही यहां विभाजन हुआ। इस दोष के कारण आगे भी विभाजन हो सकते हैं।

विभाजन के पूर्व सोवियत संघ के नैऋत्य कोण में काला सागर (Black Sea), कैस्पियन सागर (Caspian Sea) और अरल सागर (Aral Sea) साथ ही नैऋत्य कोण बढ़ा हुआ था। इसी कारण यहां की जनता को जार और उसके बाद समाजवादी शासन को अनगिनत कष्ट झेलने पड़े। द्वितीय विश्वयुद्ध में यहां के लोग बहुत परेशान हुए। इस प्रकार देखा जाए तो सोवियत संघ के टूटने से जो देश अलग हुए हैं, उससे रूस की वास्तु स्थिति सुधरी है और ताकत बढ़ी है क्योंकि दक्षिण के साथ मिलकर नैऋत्य कोण का बढ़ाव लगभग खत्म सा हो गया है।

इस भौगोलिक स्थिति के वास्तु को देखते हुए लगता है कि राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को रूस के साथ मिलाने की अपनी इच्छा पूरी करके छोड़ेंगे परन्तु यदि उन्होंने यूक्रेन को रूस के साथ मिला लिया तो रूस का नैऋत्य कोण बढ़ जायेगा, जहां ढलान के बाद काला सागर (Black Sea) है। इसी वास्तु दोष के कारण आज यूक्रेन बर्बाद हो रहा है और भविष्य में रूस की जो ताकत अभी है वह बहुत कमजोर पड़ जायेगी और रूस के हालात पुनः वैसे ही हो जायेंगे जो 1991 में सोवियत संघ के विभाजन होने के पहले थे।

वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

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