क्या आपको पता है वट पूर्णिमा और ज्येष्ठ पूर्णिमा में Difference ?

Edited By Lata,Updated: 17 Jun, 2019 12:24 PM

vat purnima

इस बात से तो सब वाकिफ ही होंगे कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाता है,

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इस बात से तो सब वाकिफ ही होंगे कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। कहते हैं कि जो भी व्यक्ति सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध चढ़ाता है, उसकी हर मनोकामना भगवान पूरी करते हैं। वैसे तो सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा होती है, लेकिन अगर सोमवार के दिन पूर्णिमा तिथि आ जाए तो ये बेहद खास हो जाती है। मगर आज हम बात करेंगे ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बारे में। ज्योतिष के अनुसार इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन पड़ रही है। कुछ मान्यताओं के अनुसार ये पूर्णिमा कल यानि 16 जून को मनाई गई तो कुछ के अनुसार आज 17 जून को मनाई जा रही है। दोनों दिन ही पूर्णिमा के लिए बहुत खास बताए जा रहे हैं। लेकिन जो 16 जून को मनाई गई उसे वट पूर्णिमा कहते हैं और जो आज मनाई जाएगी उसे ज्येष्ठ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। आज हम आपको वट पूर्णिमा और ज्येष्ठ पूर्णिमा के बीच पड़ने वाले अंतर के बारे में बताएंगे। 
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ज्येष्ठ माह को बड़ा महीना के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में सूर्य ज्याद देर तक चमकता रहता है। इस महीने हर इंसान को जल का दान करते रहना चाहिए। ऐसा भी माना जाता है कि ये महीना शनिदेव का महीना है तो ऐसे में अगर आप अपने रोगों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो काले वस्त्र, काली मिर्च और तेल का दान करें। आज के दिन यानि पूर्णिमा पर अगर आप सभी रोगों से मुक्ति चाहते हैं तो पूरे घर की साफ-सफाई जरूर करें और अन्न का उपयोग न करें और इसके साथ ही जानवरों को उड़द खिलाने से आपकी हर पीड़ा दूर हो सकती है। तो चलिए आगे जानते हैं इन दोनों के बीच अंतर के बारे में। 
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वट पूर्णिमा पर वट के वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा के साथ-साथ माता पार्वती और शिव की पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार वहीं अगर ज्येष्ठ पूर्णिमा अगर सोमवार के दिन आती है तो भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ यानि शिव और शक्ति होती है और इस दिन उनके ज्येष्ठा अवतार की पूजा होती है। इसलिए इस दिन भगवान की पूजा फलों के रस, दही, ठंडी लस्सी के साथ की जाती है। जो लोग वट सावित्री का व्रत रखते हैं, उनका व्रत अमावस्या से शुरू होकर पूर्णिमा तक पूर्ण होता है। वट पूर्णिमा पर नमक और मटके का दान किया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर ज्येष्ठ पूर्णिमा पर नमक का प्रयोग करना भी वर्जित होता है। इस विशेष दिन पर कहा जाता है कि घर की पुरानी झाड़ू को जलाकर नई झाड़ू का प्रयोग होता है।

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