Vat savitri 2021: इस श्लोक का जप करते हुए दें देवी सावित्री को अर्घ्य

Edited By Jyoti,Updated: 04 Jun, 2021 04:50 PM

vat savitri 2021

वट सावित्री का व्रत इस वर्ष 10 जून जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा।  धानी मान्यताओं के अनुसार इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान

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वट सावित्री का व्रत इस वर्ष 10 जून जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाएगा।  धानी मान्यताओं के अनुसार इस दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी जिस के उपलक्ष में आज भी हिंदू धर्म में वट सावित्री अमावस्या के दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए इस व्रत को संपन्न करती हैं। कुछ एजेंसियों के अनुसार इस व्रत को जेष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तथा जेष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक करने का विधान है।

बता दे वट सावित्री व्रत में व्रत और सावित्री दोनों ही शब्दों का खास महत्व है। जिस तरह पीपल के वृक्ष को सनातन धर्म में खास माना गया है ठीक उसी तरह बट यानी बरगद का वृक्ष भी अपना विशेष महत्व रखता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस व्रत को सभी प्रकार की स्त्रियां अर्थात कुमारी, विवाहिता, कुपुत्रा,सुपुत्रा व विधवा आदि करती हैं। आइए जानते हैं वट सावित्री अमावस्या व्रत की पूजन विधि-

अमावस्या तिथि कब से कब तक-
इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 01:57 बजे से शुरू हो जाएगी और 10 जून को शाम 04:20 बजे तक रहेगी...। पारण- 11 जून 2021 दिन शुक्रवार।

सबसे पहले इस दिन प्रातः घर की सफाई करें और स्नान करके पूरे घर में जल का छिड़काव करें।

इसके बाद बांस की टोकरी में सप्त धान्य में भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें।

ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।

इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान सावित्री की मूर्ति स्थापित करके टोकरी को वटवृक्ष के नीचे रख दें।

निम्न लोक से सावित्री को अर्घ्य दें-
अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते।
पुत्रान्‌ पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते।।

तत्पश्चात सावित्री तथा सत्यवान की पूजा करके बड़ की जड़ में पानी दें।

इसके बाद निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना करें-
यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले।
तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मा सदा।।

मम वैधव्यादिसकलदोषपरिहारार्थं ब्रह्मसावित्रीप्रीत्यर्थं
सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये।

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