महात्मा विदुर ने बताई है श्रेष्ठ व्यक्ति की ये पहचान

Edited By Lata,Updated: 11 Oct, 2019 12:19 PM

vidur niti

हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं, जिससे मनुष्य कई सारी ज्ञान की बातों को अपने जीवन में उतार सकता है।

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हिंदू धर्म में ऐसे बहुत से धार्मिक ग्रंथ शामिल हैं, जिससे मनुष्य कई सारी ज्ञान की बातों को अपने जीवन में उतार सकता है। ऐसे महाभारत भी एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें विदुर के पात्र से इंसान बहुत कुछ सीख सकता है। महात्मा विदुर ने अपने जीवन काल में विदुर नीति की रचना की, ताकि आने वाले समय पर हर इंसान उन नीतियों का पालन कर सके और उसे अपने जीवन में उतार सके। विदुर ने अपनी नीति में एक सच्चे व श्रेष्ठ व्यक्ति की पहचान के बारे में बताया गया है। 
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विदुर कहते हैं कि श्रेष्ठ व्यक्ति में दुख सहने की अपार शक्ति होती है, जिससे वो हर मुश्किल में डटकर खड़ा रहता है और वह परमात्मा में विश्वास रखने वाला एक श्रद्धालु भी होता है।

जो व्यक्ति श्रेष्ठ होता है वह हमेशा अच्छे कर्मो को अपनाता है और बुरे कर्मों से दूर रहता है। ऐसा इंसान क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा, उद्दंडता इत्यादि बुराईयों से दूर रहता है।

श्रेष्ठ व्यक्ति ऐसी वस्तुओं की कामना बिल्कुल नहीं करते हैं, जो दुर्लभ होती है और न ही खोई हुए वस्तु को लेकर कभी शोक करते है तथा विपदा की घड़ी में सदैव अपने दिमाग से काम लेते हैं।
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किसी भी काम को करने से अच्छा व्यक्ति पहले रूप रेखा तैयार करते हैं तथा काम के बीच में कभी नहीं रुकते और समय को बिल्कुल भी नहीं गंवाते हैं।

श्रेष्ठ व्यक्ति कभी भी आदर-सम्मान होने पर फूले नहीं समाते और अपमान होने पर भी उनका मन विचलित भी नहीं होता है।

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