अमीरों को भी कंगाल बना देते हैं ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2018 11:12 AM

vidur niti in hindi

भारत के महान विद्वानों में गिने जाने वाले महात्मा विदुर महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं। इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था, फिर भी वह धृतराष्ट्र व पांडू के भाई और कौरवों-पांडवों के काका कहलाए। महाभारत से पहले विदुर जी और हस्तिनापुर के...

भारत के महान विद्वानों में गिने जाने वाले महात्मा विदुर महाभारत के महत्वपूर्ण पात्रों में से एक हैं। इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था, फिर भी वह धृतराष्ट्र व पांडू के भाई और कौरवों-पांडवों के काका कहलाए। महाभारत से पहले विदुर जी और हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्र में एक संवाद हुआ, जिसे विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। इन नीतियों में जीवन, युद्ध, प्रेम, व्यवहार आदि के बारे में व्याख्या की गई है। जो व्यक्ति इन्हें अपने जीवन में धारण करता है, वह सदा खुश रहता है। इसमें कुछ ऐसी बातें भी बताई गई हैं, जो अमीरों को कंगाल बना देती है। देखें, कई आप भी तो नहीं कर रहे ये काम-


दूसरों से ईर्ष्या करना
महात्मा विदुर कहते हैं कि जो मनुष्य दूसरों के प्रति ईर्ष्या का भाव रखते हैं, वह कभी भी खुश नहीं रह सकते। मनोविज्ञानी भी इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि एक सीमा से आगे पहुंचकर ईर्ष्या मनुष्य को एक प्रकार की रुग्णावस्था में पहुंचा देती है। दुर्भाग्य तो यह है कि उसे इस विषम परिस्थिति का ज्ञान ही नहीं हो पाता कि कब ईर्ष्या की मनोदशा उसे किस दलदल में धंसाने लगती है। ईर्ष्या एक ऐसा छिपा हुआ भाव है जिसे मनुष्य जानते-समझते हुए भी अस्वीकार करता रहता है। 


दूसरों का तिरस्कार करना
विदुर जी के अनुसार जो मनुष्य दूसरों से घृणा करता है या उनका तिरस्कार करता है, वह कभी खुश नहीं रह पाता। जलन के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाए रखेंगे, उतने ही ज्यादा दुखी और निराश रहेंगे। यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाए रखते हैं या जिंदगी भर। अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दुख रूपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे रखना सीखें और हो सके तो उसे उठाओ ही नहीं।

 

क्रोध करने वाला व्यक्ति
अधिक क्रोध करने वाला इंसान इस संसार में सबसे भयंकर विस्फोट माना जाता है। जिसके फटने से कुछ न कुछ नुकसान होना तो पक्का होता है। ऐसे इंसान कब अपनी लाइफ में क्या खो देते हैं, इनको खुद इसका अहसास नहीं होता। विदुर जी के अनुसार जो व्यक्ति हमेशा गुस्से से भरा हुआ रहता है उसके साथ भी कोई रहना पसंद नहीं करता। यहां तक कि उसकी फैमिली व दोस्त भी धीरे-धीरे उससे दूर होने लगते हैं।

 

हमेशा दूसरों पर शक करना
शक की आदत इतनी बुरी है जिसका अंत हमेशा बुरा होता है। जिस इंसान के अंदर एक बार शक का बीज़ आ जाता है, वह अपने रिश्तों के पौधे को खुद ही काटने लगता है। शक्की इंसान हमेशा नकारात्मक चीज़ खोज़ता रहता है। जिस कारण छोटी से छोटी बात पर वह चिड़चिड़ा हो जाता है। महात्मा विदुर के अनुसार एेसा इंसान जीवनभर दुख भोगता है। 

 

अपने जीवन में संतोष न कर पाना
विदुर जी कहते हैं की यदि किसी व्यक्ति में संतोष न हो तो वह एक धनवान व्यक्ति होने के बावज़ूद भी हमेशा सुख व खुशियों से दूर ही रहता है। हर व्यक्ति को जीवन में एक समय के बाद कहीं रूक कर संतोष करना चाहिेए। यदि आपके मन में कोई अभिलाषा रहेगी तो वह आपके दुःख की सबसे बड़ी वजह बन सकती है। असंतोष की भावना व्यक्ति के पास सब कुछ होते हुए भी उसे कंगाल बना कर रखती है। 

 

दूसरों के भाग्य पर जीने वाला
विदुर जी कहते हैं कि दूसरों के भाग्य पर जीने वाला कभी भी खुश नहीं रह पाता। जब इंसान अपने पैरों पर खड़े होने के लायक हो जाता है, तब वह अपना भाग्य खुद बनाता है। जब आप दूसरों के भरोसे जीते हैं तब दूसरों पर निर्भर होते हैं। ऐसी स्थिति में दूसरों की खुशी आपकी खुशी होती है व उनका दुःख आपका दुःख बन जाता है।

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