Edited By Jyoti,Updated: 30 Jul, 2018 05:49 PM
हमारे हिंदू शास्त्रों में एेसे कई कामों के बारे में बताया गया है जो व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। लेकिन फिर भी जो लोग उन कामों को करने की गलती करते हैं तो उन्हें जीवन पर अपमान सहना पड़ता है।
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हमारे हिंदू शास्त्रों में एेसे कई कामों के बारे में बताया गया है जो व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। लेकिन फिर भी जो लोग उन कामों को करने की गलती करते हैं तो उन्हें जीवन पर अपमान सहना पड़ता है। तो आईए जानते हैं शास्त्रों में बताए गए 5 काम, जिनकी वजह से किसी को भी घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान नहीं मिल पाता।
संतान की अनदेखी
यदि कोई व्यक्ति संतान के पालन-पोषण में अनदेखी करता है तो संतान बिगड़ जाती है। संतान संस्कारी नहीं है और गलत काम करती है तो इससे अपमान ही प्राप्त होता है। जब घर के बड़ों की अनदेखी होती है तो संतान असंस्कारी हो सकती है। अत: माता-पिता को संतान के अच्छे भविष्य के लिए उचित देखभाल करनी चाहिए। संतान को अच्छे संस्कार मिले इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
लालच
जो लोग धनी हैं, लेकिन घर-परिवार की जरुरतों पर खर्च नहीं करते हैं, धन के लिए लालच करते हैं, उन्हें समाज में सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता है। धन को जरूरतों पर भी खर्च न करने या कंजूस होने पर धन की लालसा और अधिक बढ़ती है। इससे व्यक्ति और अधिक पैसा कमाने के लिए गलत काम कर सकता है। धन के लोभ में फंसकर कई परेशानियों का सामना करता है।
धन अभाव होने पर अधिक दान करना
जो लोग अपनी आय से अधिक खर्च करते हैं, अत्यधिक दान करते हैं, वे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करते हैं। आय से अधिक दान करते हैं, आमदनी कम होने या धन अभाव होने पर भी शौक पूरे करना, मौज-मस्ती करना, फिजूलखर्च करना पूरे परिवार को संकट में फंसा सकता है। इस काम से अपमान ही मिलता है। दान करना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि बहुत अधिक मात्रा में या अपनी आय से अधिक दान न करें।
दुष्ट लोगों का साथ
अच्छी या बुरी संगति का असर हमारे जीवन पर होता है। यदि हमारी संगत गलत लोगों के साथ है तो कुछ समय तो सुख की अनुभूति होगी, लेकिन परिणाम बहुत बुरा हो सकता है। बुरी संगत से बचना चाहिए। इस बात के कई उदाहरण है, जहां दुष्टों की संगत में लोग बर्बाद हुए हैं। दुर्योधन के साथ कर्ण, रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद श्रेष्ठ उदाहरण है। हमें दुष्ट लोगों का साथ छोड़ देना चाहिए।
दूसरों का अहित करना
जो लोग स्वयं के स्वार्थ को पूरा करने के लिए दूसरों का अहित करते हैं, वे लोग इस काम के भयंकर फल प्राप्त करते हैं। इस काम से व्यक्ति के साथ ही परिवार को भी नुकसान, अपमान का सामना करना पड़ सकता है। राजा कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन अंत में वह स्वयं ही मृत्यु को प्राप्त हुआ। शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति जैसा करेगा, उसे वैसा ही फल प्राप्त होगा। हम अच्छे काम करेंगे तो अच्छा फल मिलेगा और बुरे काम करेंगे तो बुरा।
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