वृंदावन जाने का समय नहीं है, भक्तों को दर्शन देने आते हैं भगवान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 09:03 AM

vrindavan does not have time to go devotees come to see god

‘भगवान का भजन भगवान के लिए भगवान का बन कर करो तो प्रभु जी की कृपा जरूर होती है, कलियुग में तो श्री हरिनाम संकीर्तन ही श्रेष्ठ है, भाव और निष्ठा से यदि कोई मनुष्य एक बार भी हरि के नाम का सिमरण कर ले तो

‘भगवान का भजन भगवान के लिए भगवान का बन कर करो तो प्रभु जी की कृपा जरूर होती है, कलियुग में तो श्री हरिनाम संकीर्तन ही श्रेष्ठ है, भाव और निष्ठा से यदि कोई मनुष्य एक बार भी हरि के नाम का सिमरण कर ले तो भगवान उसे मालामाल कर देते हैं’- ये शब्द आज श्री राधा कुंज बिहारी सेवा समिति की ओर से साईंदास स्कूल की ग्राऊंड में करवाए जा रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में विश्व विख्यात भागवत कथा व्यास आचार्य श्री गौरव कृष्ण महाराज ने कहे।


उन्होंने कहा कि 5 वर्ष के बालक ध्रुव ने मां का आशीर्वाद पाकर अटल संकल्प किया और परमात्मा को पाने के लिए घर का त्याग करके नारद जी के दिए मंत्र का जाप करते हुए अपने नाम के अनुरूप ही अटल स्थान प्राप्त किया। गौरव ने कहा कि संसार के लोग रूठने मनाने में लगे रहते हैं परंतु यदि यही संबंध मनुष्य परमात्मा से बनाए तो परमात्मा अपनी शरण में ले लेते हैं। संसार में लोगों के पास चाहे वृंदावन जाने का समय नहीं है, परंतु भगवान के पास इतना समय है कि वह भक्तों को दर्शन देने के लिए जरूर आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि भोजन से शरीर को शक्ति मिलती है और भजन आत्मा का भोजन है। भक्त जब भगवान को पुकारता है तो वह दौड़े चले आते हैं, भक्त तो भगवान के दर्शन दो आंखों से करता है परंतु भगवान तो अनन्त नेत्रों से भक्त को देखते हैं, यह भगवान की अपार कृपा ही तो है। सत्संग की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि जब भगवान से भक्त का तार जुड़ जाए, उसके लिए वही सत्संग है। कथा में बैठकर कथा सुनने के साथ ही कथा को भीतर बैठाने की जरूरत है। प्रियव्रत और भरत की कथा सुनाते हुए उन्होंने अनेक प्रासांगिक कथाएं सुनाईं। 


गौरव कृष्ण ने कहा कि भगवान ने अनेक अवतार लेकर लोगों का उद्धार किया। नश्वर संसार में सब कुछ नष्ट हो सकता है परंतु भजन कभी नष्ट नहीं होता। प्रभु चरणों में जब तक प्रीति नहीं होगी तब तक बंधन ही बंधन है। अजामिल की कथा सुनाते हुए आचार्य जी ने कहा कि उसने भगवान को नहीं बल्कि अपने पुत्र नारायण को पुकारा और भगवान ने उसका कल्याण कर दिया। अपने दिए वचन के लिए भगवान ने नृसिंह अवतार लिया तथा हिरण्यकश्यप को मारा। इस अवसर पर पूर्व संसदीय सचिव के.डी. भंडारी, संजीव वर्मा, गोपी वर्मा, विकास ग्रोवर, हेमंत थापर, अश्विनी मिंटा, ईशू महेन्द्रू, रेवती रमण गुप्ता, मेजर अरोड़ा, राहुल महेन्द्रू, कृष्ण गोपाल बेदी, परमिन्द्र जीत, गौरव भल्ला, कमलजीत मल्होत्रा, राजेश अग्रवाल, दीपक, संजय सहगल, अमित अरोड़ा व अन्य भी मौजूद थे।


इन भजनों पर झूमे भक्त : ‘सांसों की माला में सिमरू मैं तेरा नाम’ तेरी बिगड़ी बन जाएगी, तूं राधे राधे बोल, राधे राधे बोल वे बंदे क्या लागे तेरा मोल’ गोबिंद हरे, गोपाल हरे, जय-जय प्रभु दीन दयाल हरे’ महारानी की जय, राधा रानी की जय, बोलो बरसाने वाली की जय जय जय’, ‘ प्यारे जीवन के दिन चार, सोच समझ कर इसको जीना, ये ना जाएं बेकार,’ ‘माधवा नंद लाल मेरो गिरधारी, मेरो बांके बिहारी’।


मुख्य यजमान-संजीव वर्मा और नीलू वर्मा ने व्यासपीठ का पूजन किया। उनके साथ बृजेश जुनेजा, इन्द्रा जुनेजा, अंकुश जुनेजा, सुरभि जुनेजा, सुनील नैयर, संदीप मलिक, संजीव कुमार, दीपक शारदा ने ठाकुरजी की आरती की। 

 
सम्मानित आतिथि- शांति अरोड़ा, मनप्रीत सिंह, अंकुश गुप्ता, रघुबीर बंटी, विजय शर्मा, कुलदीप नैयर, बलराम मल्होत्रा, पुनीत मल्होत्रा, ललित नैयर, विनोद बिहारी, पार्थ, सारथी, विपन, अतुल भगत, राहुल व अन्य।

- वीना जोशी 

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