Vrishabha Sankranti 2021: 14 मई को है वृषभ संक्रांति, 30 दिन रहेंगे बेहद खास !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 May, 2021 11:18 AM

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ज्योतिष में आत्मा का कारक माने जाने वाले ग्रहों के राजा सूर्य 14 मई को सुबह 11:15 पर अपनी मेष राशि से निकलकर शुक्र के वृषभ राशि में गोचर करेंगे और फिर 15 जून को बुध की मिथुन राशि

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2021 Vrishabha Sankranti: ज्योतिष में आत्मा का कारक माने जाने वाले ग्रहों के राजा सूर्य 14 मई को सुबह 11:15 पर अपनी मेष राशि से निकलकर शुक्र के वृषभ राशि में गोचर करेंगे और फिर 15 जून को बुध की मिथुन राशि में चले जाएंगे। सूर्य देव 14 मई को जब वृषभ राशि में आएंगे तो उस दिन वृषभ सक्रांति भी होगी।

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हिंदू धर्म में संक्रांति का महत्व अत्यधिक होता है। इस दिन सूर्य पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस रोज सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सूर्यनारायण की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है। साथ ही सूर्य आराधना करने से सूर्य ग्रह से संबंधी दोषों का निवारण होता है। सूर्य आराधना से यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति भी होती है।

शास्त्रों में वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान माना गया है। इस दिन पूजा-पाठ, जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति के दिन किसी पवित्र नदी अथवा जलकुंड में नहाने से तीर्थस्थलों के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। वृषभ सक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है। इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और 9 दिन तक गर्मी बढ़ाता है। जिसे नवतपा भी कहा जाता है। वृषभ सक्रांति में ही गर्मी अपने पूरे यौवन पर रहती है इसलिए इस दौरान अन्न दान व जल दान का विशेष महत्व बताया गया है।

ज्योतिष और शास्त्रों में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह होने के साथ ही हमारे मान-सम्मान व अपमान का भी कारक माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य मजबूत स्थिति में होता है, उसे समाज में मान-सम्मान और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य ऐसा ग्रह है, जो कभी वक्री गति नहीं करता।
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सूर्य सभी ग्रहों में अधिपति हैं। इस कारण उनका राशि परिवर्तन सभी राशियों पर पूरा प्रभाव डालता है। सूर्य की स्थिति ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण मानी गई है। जन्म कुंडली में सूर्य की डिग्री और स्थिति से ही व्यक्ति के भविष्य का पता चलता है। सूर्य का संबंध पद-प्रतिष्ठा, यश-अपयश, आत्मबल, नेत्र, आरोग्य आदि से भी है। शासन-प्रशासन का कारक भी सूर्य ही है। सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता भी कहा जाता है, जो हमें प्रतिदिन दर्शन देते हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो यह ताकत, अधिकार, यश, नौकरी आदि के देवता हैं।  इनकी पूजा विधि-विधान से करने से उपरोक्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

संक्रांति का व्रत लाभकारी माना गया है। इस दिन व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में यश वैभव प्राप्त होता है। इस दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और सूर्य भगवान की आराधना श्रेयष्कर मानी गई है।
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गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com

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