Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 May, 2020 06:06 AM
हमारे ज्योतिष शास्त्र और हमारी संस्कृति के मुताबिक सूर्य का राशि परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इस राशि परिवर्तन की बहुत धार्मिक महत्ता भी होती है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है
Vrishabha Sankranti 2020: हमारे ज्योतिष शास्त्र और हमारी संस्कृति के मुताबिक सूर्य का राशि परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। इस राशि परिवर्तन की बहुत धार्मिक महत्ता भी होती है। हमारे पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को देवता का दर्जा दिया गया है और इन्हें प्रकाश, उर्जा, आध्यात्मिक शक्ति, आशा और पौरुष प्रवृत्ति का प्रतीक माना गया है। इसे आत्मा का कारक भी कहा गया है और इसी वजह से लोग प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करते हैं।
सूर्य हमें सदैव सकारात्मक चीजों की ओर प्रेरित करते हैं। दिशाओं में यह पूर्व दिशा के स्वामी होते हैं, जबकि धातुओं में यह तांबा और सोने का प्रतिनिधित्व करते हैं। वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में पिता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च जबकि तुला राशि में नीच का होता है। सूर्य ग्रह कभी वक्री चाल नहीं चलता।
जिस दिन ये अपना घर बदलते हैं, उस दिन को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य की चाल के साथ ही तिथि बदल जाती है। कल 14 मई को सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष राशि में प्रवेश करेंगे। बंगाली कैलेंडर में अगर इसे " ज्योतत्तो मश" का प्रतीक माना जाता है तो दक्षिण भारत में इसे वृषभ संक्रमन के रूप में जाना जाता है। मलयालम कैलेंडर में इसे " एदाम मसम " कहा जाता है। उड़ीसा में भक्त इस दिन को बुश सक्रांति के रूप में मनाते हैं।
आज हम आपको ऐसा मंत्र बता रहे हैं, जिसका जाप करने से राजयोग की प्राप्ति होती है। वैसे तो इस मंत्र का हर सुबह सूर्योदय के समय जाप करना चाहिए। संभव न हो तो रविवार और संक्रांति के दिन अवश्य इस मंत्र का जाप करें। जल्दी ही आपको राजा-महाराजाओं जैसा वैभव प्राप्त होगा। सुबह पहले सूर्य देव को प्रणाम करें, अर्ध्य दें। फिर सूर्य की किरणों में आसन बिछाकर बैठ जाएं और इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें-
कनकवर्णमहातेजं रत्नमालाविभूषितम्।
प्रातः काले रवि दर्शनं सर्व पाप विमोचनम्।।