Kundli Tv- बिना किसी से पूछे इस तरीके से निकाल सकते हैं शादी का मुहूर्त

Edited By Jyoti,Updated: 28 Nov, 2018 03:27 PM

wedding muhurat

हिंदू धर्म में हर काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। इसको लेकर ज्योतिष में मान्यता है कि अगर हर काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाए तो उस काम में सफलता मिलती है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा(Video)
हिंदू धर्म में हर काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। इसको लेकर ज्योतिष में मान्यता है कि अगर हर काम को करने से पहले मुहूर्त देखा जाए तो उस काम में सफलता मिलती है। इसके साथ ही ज्योतिष में किसी धार्मिक कार्य आदि में भी मुहूर्त का बड़ा ध्यान रखा जाता है। हिंदू धर्म की मानें तो विवाह संस्कार भी एक धार्मिक काम ही माना जाता है। इसे मानव जीवन के सोलह संस्कारों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। यहीं कारण है कि हर कोई शादी से पहले शुभ मुहूर्त देखता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी से पहले शुभ मुहूर्त देख लेने से वर-वधु का दांपत्य जीवन बेहतर होने के साथ उनके मध्य प्यार व ताल-मेल भी हमेशा बना रहता है। इसके लिए हर कोई ज्योतिष विद्वानों के पास जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आप घर बैठे ही जान सकते हैं कि शादी किस मुहूर्त में करनी चाहिए। अगर नहीं तो आइए जानते हैं कैसे-
PunjabKesari
लगभग सभी लोगों के ये तो पता होता है कि हिंदू पंचांग में कुल 27 नक्षत्र है लेकिन उनमें से केवल कुछ ही जैसे- मूल, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा आषाढ़, उत्तरा भाद्रपद, स्वाति, मघा और रोहिणी आदि नक्षत्र को विवाह आदि के लिए शुभ माने गए हैं।

कौन से महीनों में करना चाहिए विवाह-
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि विवाह के लिए शुभ नक्षत्र देखना तो आवश्यक होता है ही लेकिन साथ में शुभ महीने का होना भी बहुत ज़रूरी माना जाता है। इसके अनुसार साल के 12 महीनों में विवाह संस्कार केवल 6 महीनों में ही करना चाहिए- ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, वैशाख, मार्गशीर्ष और आषाढ़ माह में ही विवाह करना शुभ माना जाता है।
PunjabKesari
ऐसे निकाले विवाह का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र में शादी संस्कार में वधु के लिए गुरुबल और वर के लिए सूर्यबल पर मुख्य रूप से विचार किया जाता है और दोनों के लिए एक साथ चंद्रबल पर विचार किया जाता है। 

अगर आपके पास घर में कोई पंचांग रखा हो तो आपको बता दें कि उसमें विवाह मुहूर्त पहले से ही लिखे होते हैं जिनमें शुभ संकेत के रूप में खड़ी रेखाएं और अशुभ संकेत के रूप में टेढ़ी रेखाएं होती है। 
PunjabKesari
कहा जाता है कि इसमें कुल दस दोष बताएं गएं हैं, जिस विवाह के मुहूर्त में जितने दोष नहीं होते हैं, उतनी ही खड़ी रेखाएं होती हैं और टेढ़ी रेखाओं को दोष संकेत रेखाएं माना जाता है। बता दें कि सर्वश्रेठ मुहूर्त दस रेखाओं का होता है। जबकि मध्यम सात से आठ रेखाओं का होता है और जघन्य पांच रेखाओं का होता है और इससे कम रेखाओं के मुहूर्त को निन्द्य कहा जाता है।

वधु के लिए गुरुबल
अगर लड़की की राशि में बृहस्पति नवम, पंचम, एकादश, द्वितीया और सप्तम भाव में हो तो ये बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा बृहस्पति के दशम, तृतीया, षष्ठ और प्रथम भाव में होने पर लड़की का किसी भी प्रकार का दान देना शुभ और चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव में अशुभ होता है।
PunjabKesari
वर के लिए सूर्यबल
ज्योतिष के अनुसार अगर वर की राशि में सूर्य तृतीय, षष्ठ, दशम, एकादश भाव में हो बहुत तो अच्छा माना जाता है। लड़के का सूर्य के प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम और नवम भाव में होने पर दान देना शुभ और चतुर्थ, अष्टम, द्वादश भाव में अशुभ होता है।

दोनों के लिए चंद्रबल
शादी के लिए वर-वधु दोनों की कुंडली में चंद्रबल देखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा वर और कन्या की राशि में तीसरे, छठे, सातवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो शुभ मना जाता है। अगर चंद्रमा पहले, दुसरे, पांचवें और नौवें भाव में हो तो दान देना शुभ होता है तो वहीं चौथे, आठवें, बाहर वें भाव में अशुभ होता है।
नहीं हो पाता है आपसे डांस तो बस कर लें ये एक काम(video)

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!