कैला देवी का क्या है द्वापर युग से संबंध?

Edited By Lata,Updated: 10 Dec, 2019 03:06 PM

what is kaila devi s relation to dwapara yuga

हिंदू धर्म में हर देवी-देवता के कई मंदिर स्थापित हैं, जोकि विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध हैं। वहीं इन मंदिरों की मान्यताएं भी अलग हैं।

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हिंदू धर्म में हर देवी-देवता के कई मंदिर स्थापित हैं, जोकि विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध हैं। वहीं इन मंदिरों की मान्यताएं भी अलग हैं। ये अपने आप में बहुत प्रसिद्धि हासिल किए हुए है। कुछ मंदिरों में इतने चमत्कार होते हैं कि हर किसी के बारे में जानना हर किसी के लिए नामुमकिन होता है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि बहुत ही प्राचीन है।
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राजस्थान के करौली में कैला देवी का मंदिर विश्वभर में बहुत प्रसिद्ध है। कैला देवी मंदिर को उत्तर भारत के प्रसिद्ध दुर्गा मंदिरों में से एक माना जाता है। बता दें कि यहां सालभर भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है और लोग यहां मनोकामनाओं के साथ खाली झोली लेकर आते हैं और आशीर्वादों से भरी झोली लेकर जाते हैं। 

कालीसिल नदी 
इसी स्थान पर कालीसिल नाम की एक नदी है, जोकि अपने चमत्‍कारों को लेकर बहुत ही विख्‍यात हैं। ऐसी मान्‍यता भी है कि यहां आने वालों के लिए कालीसिल नदी में स्‍नान करना अनिवार्य है।  स्‍नान के बाद ही भक्‍त कैला देवी के दर्शन के लिए जाते हैं। 
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लक्खी मेला
यहां साल में एक बार लक्‍खी मेले का आयोजन होता है। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, हरियाणा, दिल्‍ली, पंजाब और गुजरात समेत कई राज्‍यों से भारी मात्रा में भक्‍त पहुंचते हैं। यूं तो सालभर ही भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ यहां उमड़ती है। मान्यताओं के अनुसार इसी स्थान पर बाबा केदारगिरी ने कठोर तपस्‍या कर माता के श्रीमुख की स्थापना की थी। 

बच्चों के मुंडन
कैला देवी के मंदिर में लोग अपने बच्चों का पहली बार मुंडन करवाते हैं और उनके बाल मां को अर्पित करते हैं। आसपास के क्षेत्र में यह भी मान्यता है कि अगर किसी के परिवार में विवाह होता है तो नवविवाहित जोड़ा जब तक आकर मां का आशीर्वाद नहीं ले लेता तब तक परिवार का कोई सदस्‍य यहां दर्शन के लिए नहीं आता।

प्रचलित कथा
एक कथा के अनुसार माता देवकी के दुष्‍ट भाई कंस को जब से यह पता लगा था कि बहन की संतान ही उसकी मौत का कारण बनेगी तब से वह एक के बाद एक देवकी की संतान को मारता जा रहा था। इसी प्रकार से जब देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्‍ण का जन्‍म हुआ तो उसी वक्‍त गोकुल में यशोदा और नंद के घर में बेटी का जन्‍म हुआ। इसके बाद वसुदेव गोकुल जाकर कृष्‍ण को वहां छोड़ आए और नंदराय जी की बेटी को अपने साथ मथुरा ले आए।
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कंस को जब पता चला कि देवकी की आठवीं संतान हो चुकी है तो वह उसे भी मारने कारागार में पहुंचा। कंस ने उसे मारने के लिए जैसे ही शिला पर पटका वह देवी के रूप में प्रकट होकर आकाश में चली गईं। यह देवी योगमाया थीं। इसी देवी ने कंस को बताया कि तुम्हारा अंत करने वाला उत्पन्न हो चुका है। देवी भागवत पुराण के अनुसार इसके बाद देवी विंध्य पर्वत पर विंध्यवासिनी देवी के रूप में निवास करने लगीं। एक अन्य मत है कि कंस से छूटकर देवी राजस्‍थान में कैला देवी के रूप में विराजमान हुईं।

कैला देवी के अवतरण को लेकर यह भी कथा प्रचलित है कि मां सती के अंग जहां-जहां गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ और उन्‍हीं स्‍थानों में से एक यह भी है। यह भी माना जाता है कि बाबा केदारगिरी ने कठोर तपस्‍या कर माता के श्रीमुख की यहां स्‍थापना की थी।

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