Kundli Tv- क्या है परिक्रमा लगाने का असल कारण?

Edited By Jyoti,Updated: 08 Jul, 2018 04:33 PM

what is the real reason of the orbiting

अक्सर हम देखते है कि प्राचीन मंदिरों में कुंआ या कोई जलाशय आदि होते हैं। लेकिन क्या कभी इस बात पर विचार किया है कि हम परिक्रमा क्यों लगाते हैं और यह परिक्रमा एक खास दिशा में ही क्यों होती है? इन सबके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं।

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अक्सर हम देखते है कि प्राचीन मंदिरों में कुंआ या कोई जलाशय आदि होते हैं। लेकिन क्या कभी इस बात पर विचार किया है कि हम परिक्रमा क्यों लगाते हैं और यह परिक्रमा एक खास दिशा में ही क्यों होती है? इन सबके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं।

प्रदक्षिणा का अर्थ है परिक्रमा करना। उत्तरी गोलार्ध में प्रदक्षिणा घड़ी की सुई की दिशा में की जाती है। इस धरती के उत्तरी गोलार्ध में यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। अगर आप गौर से देखें तो नल खोलने पर पानी हमेशा घड़ी की सुई की दिशा में मुड़कर बाहर गिरेगा। अगर आप दक्षिणी गोलार्ध में चले जाएं और वहां नल की टोंटी खोलें तो पानी घड़ी की सुई की उलटी दिशा में मुड़कर बाहर गिरेगा। बात सिर्फ पानी की ही नहीं है, पूरा का पूरा ऊर्जा तंत्र इसी तरह काम करता है।


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उत्तरी गोलार्ध में अगर कोई शक्ति स्थान है और आप उस स्थान की ऊर्जा को ग्रहण करना चाहते हैं तो आपको घड़ी की सुई की दिशा में उसके चारों ओर परिक्रमा लगानी चाहिए। जब आप घड़ी की सुई की दिशा में घूमते हैं तो आप कुछ खास प्राकृतिक शक्तियों के साथ घूम रहे होते हैं।

कोई भी प्रतिष्ठित स्थान एक भंवर की तरह काम करता है, क्योंकि उसमें एक कंपन होता है और यह अपनी ओर खींचता है। दोनों ही तरीकों से ईश्वरीय शक्ति और हमारे अंतरतम के बीच एक संपर्क स्थापित होता है। घड़ी की सुई की दिशा में किसी प्रतिष्ठित स्थान की परिक्रमा करना इस संभावना को ग्रहण करने का सबसे आसान तरीका है। खासतौर से भूमध्य रेखा से 33 डिग्री अक्षांश तक यह संभावना काफी तीव्र होती है, क्योंकि यही वह जगह है जहां आपको अधिकतम फायदा मिल सकता है।

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अगर आप ज्यादा फायदा उठाना चाहते हैं तो आपके बाल गीले होने चाहिए। इसी तरह और ज्यादा फायदा उठाने के लिए आपके कपड़े भी गीले होने चाहिए। अगर आपको इससे भी ज्यादा लाभ उठाना है तो आपको इस स्थान की परिक्रमा नग्न अवस्था में करनी चाहिए। वैसे, गीले कपड़े पहनकर परिक्रमा करना नंगे घूमने से बेहतर है।

इसका कारण यह है क‌ि शरीर बहुत जल्दी सूख जाता है, जबकि कपड़े ज्यादा देर तक गीले रहते हैं। ऐसे में किसी शक्ति स्थान की परिक्रमा गीले कपड़ों में करना सबसे अच्छा है, क्योंकि इस तरह आप उस स्थान की ऊर्जा को सबसे अच्छे तरीके से ग्रहण कर पाएंगे।

यही वजह है कि पहले हर मंदिर में एक जल कुंड जरूर होता था, जिसे आमतौर पर कल्याणी कहा जाता था। ऐसी मान्यता है कि पहले आपको कल्याणी में एक डुबकी लगानी चाहिए और फिर गीले कपड़ों में मंदिर भ्रमण करना चाहिए, जिससे आप उस प्रतिष्ठित जगह की ऊर्जा को सबसे अच्छे तरीके से ग्रहण कर सकें। लेकिन आज ज्यादातर कल्याणी या तो सूख गए हैं या गंदे हो गए हैं।

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