Kundli Tv- क्या है प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा

Edited By Jyoti,Updated: 20 Nov, 2018 02:33 PM

what is the story of pradosh fast

जैसे कि हम बता चुके हैं कि आज भौम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है।

 ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
जैसे कि हम बता चुके हैं कि आज भौम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व रहता है। हिंदू धर्म में हर व्रत-पूजन के पीछे कोई न कोई मान्यता या पौराणिक कारण व कथा ज़रूर होती है। तो एेसे ही प्रदोष व्रत से जुड़ी हुई भी एक कथा बहुत प्रचलित है। तो आइए प्रदोष व्रत के इस अवसर पर जानते हैं प्रदोष व्रत से संबंधित ये कथा।
PunjabKesari
स्कंद पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती और संध्या को लौटती थी। एक दिन की बात है जब वह ब्राह्मणी भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे नदी किनारे एक सुंदर बालक दिखाई दिया जो विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। शत्रुओं ने उसके पिता को मारकर उसका राज्य हड़प लिया था। उसकी माता की भी अकाल मृत्यु हुई थी। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और उसका पालन-पोषण किया।
PunjabKesari
कुछ समय बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देवयोग से देव मंदिर गई। वहां उनकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को बताया कि जो बालक उन्हें मिला है वह विदर्भदेश के राजा का पुत्र है जो युद्ध में मारे गए थे और उनकी माता को ग्राह ने अपना भोजन बना लिया था। ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया। एक दिन की बात है दोनों बालक वन में घूम रहे थे तभी उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त "अंशुमती" नाम की गंधर्व कन्या से बात करने लगे। गंधर्व कन्या और राजकुमार एक दूसरे पर मोहित हो गए, कन्या ने विवाह करने के लिए राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह दुबारा गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता ने बताया कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया। जिसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः आधिपत्य प्राप्त किया। माना जाता है कि यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। 
PunjabKesari
मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत के दिन शिवपूजा के बाद एक्राग होकर प्रदोष व्रत कथा सुनता या पढ़ता है उसके सौ जन्मों तक की दरिद्रता खत्म हो जाती है।
घर से निकलते समय आ जाए छींक तो जाने से क्यों रोका जाता है (VIDEO)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!