Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2018 03:07 PM
बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद की चर्चा दुनिया भर में फैल चुकी थी। उनके कथन ‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ, तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ चारों ओर चर्चित हो रहे थे।
ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
बात उन दिनों की है जब स्वामी विवेकानंद की चर्चा दुनिया भर में फैल चुकी थी। उनके कथन ‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ, तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ चारों ओर चर्चित हो रहे थे। उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित होता देख एक विदेशी महिला बहुत प्रभावित हुई। उसने स्वामी विवेकानंद से विवाह करने का मन बना लिया। वह हरदम उन्हीं के बारे में सोचती रहती।
एक सम्मेलन में हिस्सा लेने स्वामी विवेकानंद उसके शहर आएंगे, यह खबर महिला को मिली तो उसने मन ही मन उनसे मुलाकात करने की ठान ली। निश्चित दिन वह उस स्थान पर जा पहुंची जहां सम्मेलन हो रहा था। महिला स्वामी विवेकानंद जी के समीप जाकर निर्भीकता से बोली, ‘‘स्वामी जी, मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं।’’
स्वामी विवेकानंद जी ने उससे पूछा, ‘‘क्यों? विवाह तुम आखिर मुझसे ही क्यों करना चाहती हो? क्या तुम यह नहीं जानती कि मैं एक संन्यासी हूं?’’
महिला ने पूरी विनम्रता के साथ कहा, ‘‘देखिए, बात यह है कि मैं आपके जैसा ही गौरवशाली, सुशील और तेजमय पुत्र चाहती हूं और वह तभी संभव होगा जब आप मुझसे विवाह करेंगे।’’
यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने उत्तर दिया, ‘‘देखो, हमारी शादी तो संभव नहीं है परन्तु एक उपाय अवश्य है।’’
महिला बोली, ‘‘कैसा उपाय?’’
स्वामी विवेकानंद बोले कि आज से मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूं और आप मेरी मां बन जाएं। आपको मेरे जैसा पुत्र मिल जाएगा। विवेकानंद की इस बात ने उस महिला की आंखें खोल दीं।
उसने कहा, ‘‘स्वामी जी आपने अपने संन्यास की महत्ता बनाए रखते हुए मेरी समस्या भी सुलझा दी। धन्य हैं आप और धन्य है आपका वह ज्ञान जो आपके व्यक्तित्व को रोशन किए हुए है, जिसकी रोशनी पूरे संसार में फैल रही है। मैं आपको पुत्र रूप में तो नहीं स्वीकार कर सकती लेकिन आपकी शिष्या जरूर बनी रहूंगी आजीवन।’’
क्या आपने भी कभी ऐसे तोड़ी मौली / कलावा? (देखें Video)