Edited By Lata,Updated: 06 Jan, 2020 10:55 AM
हिंदू धर्म में बहुत से ऐसे व्रत ऐर त्योहार आते हैं, जिसका इंतजार हर किसी को रहता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में बहुत से ऐसे व्रत ऐर त्योहार आते हैं, जिसका इंतजार हर किसी को रहता है। मकर संक्रांति भी ऐसा पर्व है, जिसकी हर कोई प्रतीक्षा करता है। शास्त्रों में तीर्थ स्नान, जप, पूजा, पाठ, दान, तर्पण व श्राद्ध तथा यज्ञ करने के लिए मकर संक्रांति सबसे उत्तम दिन कहा गया है। यहां तक कि गोदान, भूदान व स्वर्णदान करने के लिए भी मकर संक्रांति का दिन सर्वोत्तम माना गया है। श्रद्धा, उल्लास और उमंग के साथ मनाए जाने वाले मकर संक्रांति का त्योहार हमारी शास्त्र परंपरा और सुदृढ़ सभ्यता को प्रकट करता है। लेकिन इस पर्व को लेकर हर किसी के मन में दुविधा रहती है कि ये कब मनाया जाएगा? चलिए आगे बताते हैं ये पर्व कब मनाया जा रहा है।
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही भगवान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं, अत: मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इस कारण अनेक अंचलों में मकर संक्रांति को ‘उदय पर्व’ या ‘उत्तरायणी’ भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी, क्योंकि इस बार संक्रांति 14 जनवरी को मध्यरात्रि बाद 2:08 बजे होगी, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। अत: मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
कहते हैं कि जो लोग किसी पवित्र नदी में स्नान करने जा सकते हैं, वे अपने घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर भी स्नान कर सकते हैं यानि सारे तीर्थों का स्मरण करके घर पर भी पुण्य स्नान किया जा सकता है। कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन देवताओं के निमित्त तीर्थ में जाकर द्रव्य-सामग्री और पितरों के लिए जो भी पदार्थ दान दिए जाते हैं, उसे देवता और पितर हर्षित होकर स्वीकार कर लेते हैं।