Kundli Tv- जानें, कब है निर्जला एकादशी 23-24 जून

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jun, 2018 06:11 PM

when is nirjala ekadashi 23 or 24 june

23 जून को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। जो निर्जला एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है। इस एकादशी की विशेषता यह है कि इस एक एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को साल भर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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23 जून को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। जो निर्जला एकादशी के नाम से प्रसिद्घ है। इस एकादशी की विशेषता यह है कि इस एक एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को साल भर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जैसा कि नाम से जाना जाता है, इस एकादशी व्रत में जल का सेवन पूर्ण रुप से वर्जित है। अन्य एकादशियों में अन्न का सेवन नहीं किया जाता बल्कि फलाहार के साथ ही जल भी ग्रहण किया जा सकता है परंतु इस व्रत में फलाहार के साथ ही जल पीना भी निषेध है। मुख्य रुप से इस व्रत में पूर्ण रुप से त्याग और संयम की परीक्षा होती है। एकादशी का व्रत 23 को है परंतु महाद्वादशी का व्रत 24 जून को है।

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निर्जला एकादशी का व्रत 23 जून को है। त्रिस्पर्शा महाद्वादशी व्रत 24 जून को किया जाएगा। प्रत्येक मास में कृष्ण एवं शुक्ल दो पक्ष होते हैं और दोनों पक्षों में एक-एक एकादशी आती है। धर्मसिन्धू के निर्णयानुसार यह एकादशियां भी दो प्रकार की होती हैं विद्घा और शुद्घा। जो एकादशी दशमीं तिथि युक्त होती है वह विद्घा कहलाती है और जो एकादशी द्वादशी युक्त होती है वह शुद्घा कहलाती है। सूर्यकालिक एकादशी द्वादशी युक्त होती है तो भक्त एकादशी की बजाए महाद्वादशी व्रत का पालन करते हैं। 

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धर्मसिन्धू के अनुसार, गृहस्थियों एवं साधकों को शुद्घा एकादशी का व्रत करना चाहिए परंतु भक्त चाहे किसी भी पक्ष की एकादशी अथवा महाद्वादशी के व्रत का पालन करें उन्हें वैसे ही पुण्य फल की प्राप्ति होगी जैसे गाय चाहे काली हो अथवा सफेद, उसका दूध तो सफेद और लाभकारी ही होगा।

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शास्त्रों के अनुसार साल भर की 24 एकादशियों का पालन प्रभु प्रेमियों को करना चाहिए परंतु ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुासर साल भर में 8 महाद्वादशियों का पालन भी किया जाना चाहिए। जो उन्मीलनी व्युंजली, त्रिस्पर्शा, पक्षवर्धिनी, जया, विजया व पापनाशिनी के नाम से प्रसिद्घ है, यह महाद्वादशियां तिथि योग एवं नक्षत्र के अनुसार घटित होती हैं। ज्योतिष के अनुसार, जब अरुणोदय में एकादशी हो, बाद में सारा दिन द्वादशी हो और अगले दिन प्रात: त्रयोदशी हो तो वह त्रिस्पर्शा द्वादशी कहलाती है जो भगवान को अति प्रिय है। 

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वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com

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