Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 09:11 AM
हमें ऐसा लगता है कि मन एक साथ कई इंद्रियों के साथ रहता है और हम अनेक इंद्रियों से एक साथ काम लेते हैं, जबकि
हमें ऐसा लगता है कि मन एक साथ कई इंद्रियों के साथ रहता है और हम अनेक इंद्रियों से एक साथ काम लेते हैं, जबकि सच्चाई कुछ और है। मन एक समय में एक ही इंद्री के साथ रहता है और जिस इंद्री के साथ रहता है वही उस समय उसके वश में होती है। ऐसे में चंचल मन इतनी तेजी से एक इंद्री से दूसरी इंद्री की तरफ दौड़ता है और हमें ऐसा लगता है कि हम एक साथ 2-3 इंद्रियों से काम ले रहे हैं।
जब पुराने कर्मों के फलस्वरूप मोह-माया से जुड़ी कोई वासना उठती है तब वह सीधे मन तक जाती है। मन उस वासना को पूरा करने वाली इंद्री को सक्रिय करता है और उस इंद्री को हर हाल में इच्छा पूरी करने में लगा देता है। उसके बाद वासना से भरी एक इंद्री व्यक्ति की बुद्धि पर हावी हो जाती है। वासना इतनी तेज होती है कि बुद्धि सही-गलत का फैसला नहीं कर पाती। इसके बाद व्यक्ति के पास पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता इसलिए जब भी वासना का वेग उठे अपने मन को किसी अन्य जगह पर लगाएं।
कुछ वक्त के बाद आप देखेंगे कि वह इंद्री शांत हो जाएगी। जिस तरह पानी में चलने वाली नाव को हवा अपने साथ ले जाती है वैसे ही मोह-माया में पड़ी हुई इंद्रियों में से मन जिस इंद्री के साथ रहता है, वह एक ही इस पूरे बुद्धि-विवेक पर कब्जा कर लेती है।