Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Sep, 2018 10:10 AM
बुद्ध अपने प्रवचनों में शिष्यों को बहुत-सी कथाएं सुनाते थे, यह कथा भी उन्हीं में से एक है। कभी किसी काल में किसी नगर में राम और श्याम नामक दो धनी व्यापारी रहते थे।
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बुद्ध अपने प्रवचनों में शिष्यों को बहुत-सी कथाएं सुनाते थे, यह कथा भी उन्हीं में से एक है। कभी किसी काल में किसी नगर में राम और श्याम नामक दो धनी व्यापारी रहते थे। वे दोनों ही अपने धन और वैभव का बड़ा प्रदर्शन करते थे। एक दिन राम अपने मित्र श्याम के घर उससे भेंट करने के लिए गया। राम ने देखा कि श्याम का घर बहुत विशाल और तीन मंजिला था। पच्चीस सौ साल पहले तीन मंजिला घर होना बड़ी बात थी और उसे बनाने के लिए बहुत धन और कुशल वास्तुकार की आवश्यकता होती थी। राम ने यह भी देखा कि नगर में सभी निवासी श्याम के घर को बड़े विस्मय से देखते थे और उसकी बहुत बड़ाई करते थे। अपने घर वापसी पर राम, श्याम के भव्य मकान को सोचकर बहुत उदास था। उसने उसी वास्तुकार को बुलवाया जिसने श्याम का घर बनाया था, उसने वास्तुकार से श्याम के घर जैसा ही तीन मंजिला घर बनाने को कहा।
वास्तुकार ने इस काम के लिए हामी भर दी और काम शुरू हो गया। कुछ दिनों बाद राम निर्माण कार्य का मुआयना करने के लिए निर्माणस्थल पर गया। जब उसने नींव खोदने के लिए मजदूरों को गहरा गड्ढा खोदते देखा तो वास्तुकार को बुलाया और पूछा कि इतना गहरा गड्ढा क्यों खोदा जा रहा है?
‘‘मैं आपके बताए अनुसार तीन मंजिला घर बनाने के लिए काम कर रहा हूं।’’
सबसे पहले मैं मजबूत नींव बनाऊंगा, फिर क्रमश: वास्तुकार ने कहा, ‘‘पहली मंजिल, दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल बनाऊंगा।’’
‘‘मुझे इस सबसे कोई मतलब नहीं है।’’
राम ने कहा, ‘‘तुम सीधे तीसरी मंजिल बनाओ और उतनी ही ऊंची बनाओ जितनी ऊंची तुमने श्याम के लिए बनाई थी। नींव की और बाकी मंजिलों की परवाह मत करो।’’
‘‘ऐसा तो नहीं हो सकता।’’ वास्तुकार ने कहा।
‘‘ठीक है, यदि तुम यह नहीं करोगे तो मैं किसी और से करवा लूंगा।’’ राम ने नाराज होकर कहा।
उस नगर में कोई भी वास्तुकार नींव के बिना वह घर नहीं बना सकता था, फलत: वह घर कभी न बन पाया। अत: किसी भी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए उसकी नींव सबसे मजबूत बनानी चाहिए एवं काम को योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।
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