Kundli Tv- कौन हैं कुमार कार्तिकेय, क्या है इनका मां दुर्गा से संबंध

Edited By Jyoti,Updated: 21 Jun, 2018 02:35 PM

who is kumar kartikeya

श्लोक- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।। मां दुर्गा जी के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। ये भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर-संग्राम में...

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श्लोक-
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।

मां दुर्गा जी के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। ये भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर-संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इनका वाहन मयूर है। अत: इन्हें मयूरवाहन के नाम से भी अभिहित किया गया है।

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इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। स्कंद मातृ स्वरूपिणी देवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी ओर की ऊपर ली भुजा से भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और दाहिनी ओर की नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है उसमें कमल पुष्प पकड़े है। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल-पुष्प लिए हुए हैं। इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।

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मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस मृत्यु लोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है। उसके लिए मोक्ष का द्वार स्वयंमेव सुलभ हो जाता है। स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी स्वयंमेव हो जाती है। यह विशेषता केवल इन्हीं को प्राप्त है, अत: साधक को स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से सम्पन्न हो जाता है। एक अलौकिक प्रभामंडल अदृश्य भाव से सदैव उसके चतुर्दिक परिव्याप्त रहता है। यह प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योग क्षेम का निर्वहन करता रहता है।

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अत: हमें एकाग्रभाव से मन को पवित्र रख कर मां की शरण में आने का प्रयत्न करना चाहिए। इस घोर भवसागर के दुखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का एक उत्तम उपाय यह भी है।
 

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