Religious Katha: प्रवचन सुनने पर भी लाइफ में नहीं आ रहा बदलाव...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Jul, 2022 10:52 AM

why cant i change my life

एक जंगल में घने पेड़ के नीचे छोटी-सी झोंपड़ी में एक साधु-महात्मा रहते थे। वह रोजाना संध्या के समय प्रवचन देते और लोगों को सदाचार की बातें बताया करते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर महात्मा जी विश्राम करने

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Religious Context: एक जंगल में घने पेड़ के नीचे छोटी-सी झोंपड़ी में एक साधु-महात्मा रहते थे। वह रोजाना संध्या के समय प्रवचन देते और लोगों को सदाचार की बातें बताया करते थे। एक दिन सत्संग खत्म होने पर महात्मा जी विश्राम करने अपनी कुटिया में जा ही रहे थे कि तभी एक व्यक्ति उनके पास आया। वह व्यक्ति बड़ा परेशान-सा नजर आ रहा था।

PunjabKesari why cant i change my life

वह बोला, ‘‘महात्मा जी मैं काफी समय से आपके प्रवचन सुन रहा हूं, आप काफी प्रेरक और सदाचार की बातें बताते हो लेकिन इन सबका जीवन पर कोई प्रभाव पड़ता ही नहीं। मैं काफी समय से आपकी बातें सुनता आया हूं लेकिन मेरे अंदर बदलाव तो नहीं आया, फिर इन सदाचार की बातों का क्या फायदा?’’

महात्मा जी ने उस व्यक्ति को एक लकड़ी की टोकरी दी और कहा कल सुबह इसमें पानी भर कर लाना, फिर मैं आपके सवालों का जवाब दूंगा। उस व्यक्ति को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस लकड़ी की टोकरी में पानी कैसे भरेगा, क्योंकि उसमें तो काफी छेद हैं।
वह सुबह उठकर नदी के किनारे गया और टोकरी में पानी भरने का प्रयास करने लगा। जैसे ही पानी भरने की कोशिश करता, सारा पानी नीचे से निकल जाता। उसने फिर प्रयास किया, फिर से पानी निकल गया। वह व्यक्ति घंटों प्रयास करता रहा लेकिन हर बार पानी नीचे से निकल जाता था। प्रयास करते-करते शाम हो गई, वह व्यक्ति बड़ा परेशान हुआ कि अब महात्मा को क्या जवाब देगा।

अगले दिन वह जब महात्मा के पास पहुंचा तो उसने उन्हें सारी बात बताई कि टोकरी में पानी भरने का काफी प्रयास किया लेकिन हर बार पानी छेदों से निकल जाता है।

महात्मा जी बोले, ‘‘अच्छा यह बताओ कि तुमको इस टोकरी में पहले की तुलना में कुछ फर्क नजर आया।’’

PunjabKesari why cant i change my life

वह व्यक्ति बोला, ‘‘हां, यह पहले गंदी थी, काफी धूल जमी थी लेकिन अब यह एकदम साफ नजर आती है। इसके छेद भी पहले काफी बड़े थे लेकिन दिन भर पानी में रहने की वजह से टोकरी की लकड़िया फूल गई हैं और छेद भी छोटे हो गए हैं।’’

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें

महात्मा जी मुस्कुरा कर बोले, ‘‘यह टोकरी तुम्हारे जीवन की तरह है और पानी सदाचार की तरह है। पहले टोकरी गंदी थी लेकिन पानी में पूरे दिन रहने कि वजह से साफ नजर आ रही है। ठीक वैसे ही लगातार सदाचार की बातें सुनने और अपनाने से तुम्हारे मन की गंदगी भी धुलती जाती है, तुमको इसका एहसास तुरन्त नहीं होगा।’’

‘‘यह सदाचार की भावना धीरे-धीरे तुम्हारे मन और चित्त को साफ करती जाती है। पानी में रहने की वजह से इस टोकरी की लकड़िया फूल गईं और कुछ समय बाद ये इतनी फूल जाएंगी कि छेद पूरी तरह बंद हो जाएंगे और इसमें आसानी से पानी भर सकेगा। उसी तरह लगातार अच्छे व्यवहार और सदाचार से तुम्हारे मन और हृदय में भी अच्छी बातें आसानी से भर सकेंगी।’’

‘‘तब तुम्हें सदाचार की महिमा का अहसास होगा। अच्छे कर्म करो, थोड़ा समय गुजरने दो फिर तुम खुद अपने आप में परिवर्तन महसूस करोगे।’’       

PunjabKesari

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!