Edited By Lata,Updated: 11 Jul, 2019 03:46 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार 12 जुलाई यानि कल देवशयनी एकादशी का व्रत पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से चातुर्मास की शुरूआत हो जाती है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार 12 जुलाई यानि कल देवशयनी एकादशी का व्रत पड़ रहा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से चातुर्मास की शुरूआत हो जाती है। श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक, ये चार माह सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं और ये चारों मास ‘चातुर्मास’ के नाम से जाने जाते हैं। इसका समापन 8 नवंबर 2019 देवउठनी एकादशी पर होगा। इस दौरान यानि 4 माह में विवाह संस्कार, संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में हर एक व्यक्ति को व्रत करना चाहिए। लेकिन उसके लिए भी नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
क्या खाएं और न खाएं
इस दौरान बैंगन, मूली और परवल न खाएं। दूध, शकर, दही, तेल, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन, मसालेदार भोजन, मिठाई और सुपारी का सेवन नहीं किया जाता है। मांसाहार और शराब का सेवन भी वर्जित है। शहद या अन्य किसी प्रकार के रस का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। श्रावण में पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, आलू, कंदमूल यानी जमीन के अंदर उगने वाली सब्जियां आदि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध और कार्तिक माह में प्याज, लहसुन एवं उड़द की दाल आदि का त्याग कर दिया जाता है।
व्रत नियम
चातुर्मास में फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इन 4 महीनों में ज्यादातर समय मौन रहने की कोशिश की जाती है। हो सके तो दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए। सहवास न करें और झूठ न बोलें। पलंग पर नहीं सोना चाहिए। हर तरह के संस्कार और मांगलिक कार्य भी इन दिनों में नहीं किए जाते हैं। नियम और संयम से रहने के लिए इन 4 महीनों में हर तरह की भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहने की कोशिश की जाती है। शरीर को आराम नहीं दिया जाता है और लगातार भगवान के नाम का जाप किया जाता है।
भगवान का ध्यान
इन 4 महीनों में किया गया शारीरिक तप भगवान से जुड़ने में मदद करता है। चातुर्मास में शरीरिक और मानसिक तप के अलावा मन की शुद्धि पर भी जोर दिया गया है। जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक तप भी कहा जा सकता है। इस तरह के तप से मन में नकारात्मक विचार और गलत काम करने की इच्छाएं पैदा नहीं होती। इन दिनों में जप-तप और ध्यान की मदद से परमात्मा के साथ जुड़ने की कोशिश की जाती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
वैज्ञानिक महत्व
चातुर्मास धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्व पूर्ण है। इन दिनों में परहेज करने और संयम से जीवन जीने पर जोर दिया जाता है। वैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो इन दिनों में बारिश होने से हवा में नमी बढ़ जाती है। इस कारण बैक्टीरिया और कीड़े-मकोड़े बढ़ जाते हैं। जिनकी वजह से संक्रामक रोग और अन्य तरह की बीमारियां होने लगती हैं। इनसे बचने के लिए खान-पान में सावधानी रखी जाती है और संतुलित जीवनशैली अपनाई जाती है।