महाशिवरात्रि 2020: गलती से भी शिव पूजा में इस चीज़ का इस्तेमाल न करें वरना...

Edited By Jyoti,Updated: 07 Feb, 2020 05:42 PM

why conch is not used in lord shiva

शास्त्रों में भोलेनाथ को बहुत ही भोले बताए गए हैँ। इसमें इस बात का प्रमाण तमाम वो प्रसंग है जिनमें भोलेनाथ देवताओं ही नहीं बल्कि दानवों तक की ज़रा सी पूजा-अर्चना करने

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शास्त्रों में भोलेनाथ को बहुत ही भोले बताए गए हैँ। इसमें इस बात का प्रमाण तमाम वो प्रसंग है जिनमें भोलेनाथ देवताओं ही नहीं बल्कि दानवों तक की ज़रा सी पूजा-अर्चना करने पर उन्हें मनचाहे वरदानदे दिए। यही कारण है कि हर कोई भोलेनाथ को रिझाने में लगे रहते हैं ताकि इनसे अपने मनपसंद चीज़ पाई जाए। मगर मगर मगर....ऐसा नहीं है भगवान शंकर केवल प्रसन्न ही नहीं बल्कि क्रोधित भी बहुत जल्दी होते हैं। शास्त्रों में कुछ ऐसी चीज़ें वर्णित हैं जिनका प्रयोग करने से भोले भंडारी जल्दी प्रसन्न होते हैं। अब ये तो सब जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसके विपरीत ऐसी भी कुछ चीज़ों का वर्णन किया गया है जिनका इनकी पूजा में उपयोग करना मतलब शिव जी को क्रोध करना। इन्हीं में से एक है शंख। हिंदू धर्म के ग्रंथों में इससे जुड़ा तथ्य लिखा हुआ है जिसमें बताया गया है कि क्योंकि शंख शिव पूजा में वर्जित है।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेखित एक कथा के अनुसार एक बार राधा रानी गोलोक से कहीं बाहर गई थी उस समय श्री कृष्ण अपनी विरजा नाम की सखी के साथ विहार कर रहे थे। संयोगवश राधा वहां आ गई और उन्होंने विरजा को कृष्ण के साथ देख लिया। वो क्रोधित हो गईं और कृष्ण एवं विरजा को भला बुरा कहने लगी। लज्जावश विरजा नदी बनकर बहने लगी।

तो दूसरो ओर अपने मित्र श्री कृष्ण के प्रति राधा के क्रोधपूर्ण शब्दों को सुनकर सुदामा आवेश में आ गए। उन्होंने अपने मित्र का पक्ष लेते हुए राधा रानी को समझाने लगे और उनसे आवेशपूर्ण शब्दों में बात करने लगे। अब सुदामा के इस व्यवहार को देखकर राधा रानी और नाराज़ हो गई। उन्होंने सुदामा को दानव रूप में जन्म लेने का शाप दे दिया। तो वहीं क्रोध से भर गए सुदामा ने भी हित अहित का विचार किए बिना राधा रानी को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दे दिया। ऐसा कहा जाता है राधा रानी के शाप के चलते सुदामा शंखचूर नामक का दानव बन गया।
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शिव जो समर्पित शिवपुराण में भी दंभ के पुत्र शंखचूर का उल्लेख मिलता है। जो अपने बल के चलते तीनों लोकों का स्वामी बन बैठा और साधु-संतों को सताने लगा। जिसका वध भगवान शिव ने किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शंखचूर विष्णु और देवी लक्ष्मी का भक्त था। भगवान विष्णु ने इसकी हड्डियों से शंख का निर्माण किया। इसलिए विष्णु एवं अन्य देवी देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जाता है। परंतु क्योंकि शिव जी ने शंखचूर का वध किया था तो यही कारण है कि शंख भगवान शिव की पूजा में आज तक वर्जित है।

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