Kundli Tv- शिव के इस अवतार को क्यों लगा था ब्रह्महत्या का पाप

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Dec, 2018 04:08 PM

why did this incarnation of shiva take place

भैरव जी भगवान शिव का अवतार माने गए हैं। उनका यह रूप साहस का प्रतीक है। एक समय वभगवान शिव ने ऐसी माया रचाई जिसके अधीन होकर ब्रह्मा व विष्णु खुद को सबसे श्रेष्ठ मानने लगे। जब वेदों से पूछा गया की आप बताएं कौन सबसे बड़ा है तो उन्होंने कहा भगवान शिव।

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भैरव जी भगवान शिव का अवतार माने गए हैं। उनका यह रूप साहस का प्रतीक है। एक समय भगवान शिव ने ऐसी माया रचाई जिसके अधीन होकर ब्रह्मा व विष्णु खुद को सबसे श्रेष्ठ मानने लगे। जब वेदों से पूछा गया की आप बताएं कौन सबसे बड़ा है तो उन्होंने कहा भगवान शिव। ब्रह्मा व विष्णु ने वेदों का विरोध किया। उसी समय तेजपुंज के बीच एक पुरुष जैसी आकृति देखी गई। उसे देखते ही ब्रह्मा जी बोले,"चंद्रशेखर आप मेरे पुत्र हैं। अत: मेरे आश्रय में आ जाएं। ब्रह्मा जी के मुंह से ऐसे वचन सुनकर भगवान शिव को गुस्सा आ गया।"
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भगवान शिव ने उस पुरुष जैसी आकृति से कहा,"काल की तरह आपका आलोक होने से आप साक्षात कालराज हैं। बीभत्स होने से भैरव हैं। काल भी आप से भय खाएगा इसलिए आप काल भैरव कहलाएंगे। मुक्तिपुरी काशी के आप हमेशा स्वामी रहेंगे और पापियों के शासक भी आप ही होंगे।"
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भगवान शिव से वर प्राप्त करके कालभैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया। अत: उन्हें ब्रह्महत्या का पाप लग गया। उसी समय वहां ब्रह्महत्या उत्पन्न हुई और काल भैरव को डराने लगी।
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तब भगवान शिव ने ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए भैरव को निर्देश दिया,"जब तक यह कन्या (ब्रह्महत्या) वाराणसी पहुंचे, तब भयंकर रूप धार कर आप इसके आगे चले जाना। वाराणसी पहुंच कर तुम्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिलेगी।  जब भैरव ने वाराणसी में प्रवेश किया तो उसी क्षण ब्रह्महत्या पाताल चली गई और भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई।
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