Edited By Jyoti,Updated: 31 Oct, 2018 06:46 PM
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भारत वर्ष में जितने भी मंदिर हैं, हर एक के होने के पीछे कोई न कोई वजह जुड़ी हुई है। एक एेसा ही श्री गणेश का प्रसिद्ध मंदिर तमिलनाडू में स्थित है जहां हजारों लोग दर्शन करने आते हैं। लोक मान्यता के अनुसार यहां का नज़ारा बहुत ही सुंदर और भव्य है। आइए जानते हैं इस मंदिर के बनने के पीछे का राज़।
उच्ची पिल्लयार नाम का ये मंदिर तिरुचिरापल्ली त्रिचि नामक स्थान पर रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर बसा हुआ है। यह मंदिर 273 फुट की उंचाई पर स्थित है। इस पहाड़ी की खास बात यह है कि इसकी तीनों चोटियों पर शिव परिवार विराजमान हैं, पहली पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर, दूसरी पहाड़ी पर मां पार्वती और तीसरी पहाड़ी उच्ची पिल्लयार पर गणेश मंदिर स्थित है। मान्यता है इस मंदिर की कहानी रावण के भाई विभीषण से जुड़ी है।
कहा जाता है कि रावण का वध करने के बाद भगवान राम ने अपने भक्त और रावण के भाई विभीषण को भगवान विष्णु के ही एक रूप रंगनाथ की मूर्ति प्रदान की थी। विभीषण वह मूर्ति लेकर लंका जाने वाला था। वह राक्षस कुल का था, इसलिए सभी देवता नहीं चाहते थे कि मूर्ति विभीषण के साथ लंका जाए। सभी देवताओं ने भगवान गणेश से सहायता करने की प्रार्थना की। उस मूर्ति को लेकर यह मान्यता थी कि उन्हें जिस जगह पर रख दिया जाएगा, वह हमेशा के लिए उसी जगह पर स्थापित हो जाएगी। चलते-चलते जब विभीषण त्रिचि पहुंच गया तो वहां पर कावेरी नदी को देखकर उसमें स्नान करने का विचार उसके मन में आया। वह मूर्ति संभालने के लिए किसी को खोजने लगा। तभी उस जगह पर भगवान गणेश एक बालक के रूप में आए। विभीषण ने बालक को भगवान रंगनाथ की मूर्ति पकड़ा दी और उसे जमीन पर न रखने की प्रार्थना की।
विभीषण के जाने पर गणेश ने उस मूर्ति को जमीन पर रख दिया। जब विभीषण वापस आया तो उसने मूर्ति जमीन पर रखी पाई। उसने मूर्ति को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन उठा न पाया। ऐसा होने पर उसे बहुत क्रोध आया और उस बालक की खोज करने लगा। भगवान गणेश भागते हुए पर्वत के शिखर पर पहुंच गए, आगे रास्ता न होने पर भगवान गणेश उसी स्थान पर बैठ गए। जब विभीषण वे उस बालक को देखा तो क्रोध में उसके सिर पर वार कर दिया। ऐसा होने पर भगवान गणेश ने उसे अपने असली रूप के दर्शन दिए। भगवान गणेश के वास्तविक रूप को देखकर विभीषण ने उनसे क्षमा मांगी और वहां से चले गए। तब से भगवान गणेश उसी पर्वत की चोटी परऊंची पिल्लयार के रूप में स्थित है।
गणेश के सिर पर चोट का निशान
कहा जाता है कि विभीषण ने भगवान गणेश के सिर पर जो वार किया था, उस चोट का निशान आज भी इस मंदिर में मौजूद भगवान गणेश की प्रतिमा के सिर पर देखा जा सकता है।
तिरुचिरापल्ली का प्राचीन नाम
मान्यताओं के अनुसार, तिरुचिरापल्ली पहले थिरिसिरपुरम के नाम से जाना जाता था। थिरिसिरन नाम के राक्षस ने इस जगह पर भगवान शिव की तपस्या की थी, इसी वजह से इसका नाम थिरिसिरपुरम रखा गया था। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस पर्वत की तीन चोटियों पर तीन देवों पहले भगवान शिव, दूसरी माता पार्वती और तीसरे गणेश (ऊंची पिल्लया ) स्थित है, जिसकी वजह से इसे थिरि-सिकरपुरम कहा जाता है। बाद में थिरि-सिकरपुरम को बदल कर थिरिसिरपुरम कर दिया गया।
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