Edited By ,Updated: 06 Mar, 2017 02:46 PM
जिन धार्मिक स्थानों में प्रतिदिन घंटी बजती है उन्हें जाग्रत देव मंदिर कहा जाता है। देवताओं को जागृत करने का माध्यम है
जिन धार्मिक स्थानों में प्रतिदिन घंटी बजती है उन्हें जाग्रत देव मंदिर कहा जाता है। देवताओं को जागृत करने का माध्यम है घंटाध्वनि। प्रवेश द्वार के घंटे दर्शनार्थियों को सूचना देते हैं कि पूजा-आरती का समय हो गया है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर घंटी बजाने से भगवान का आशीर्वाद और लक्ष्मी की प्राप्ती होती है। अत: घर में देवालय बनाएं तो घंटी अवश्य लगवाएं। मंदिरों में, घरों में, पूजा पाठ, प्रवचन में घंटानाद होते रहना चाहिए ताकि चारों ओर शुभता का संचार होता रहे।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर पुरातन काल से ही घंटी अथवा घड़ियाल लगाने की परंपरा है। मान्यता है की जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज यथाक्रम आती रहती है, वहां का परिवेश हमेशा साफ-सुथरा, धार्मिक और पावन बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियों पर प्रतिबंध लग जाता है और सकारात्मकता के द्वार खुल जाते हैं। सुख-समृद्धि के रास्ते प्रशस्त होते हैं।
स्कंद पुराण के मतानुसार मंदिर में प्रवेश करते ही घंटी बजाने से सौ जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं। जब सृष्टि का आरंभ हुआ तब जो नाद था, घंटी या घडिय़ाल की ध्वनि से वही नाद निकलता है। इसी नाद को ओंकार के पदाघात से भी जाग्रत हुआ माना जाता है। सर्वप्रथम धार्मिक स्थानों में घंटी लगाने का आरंभ जैन और हिन्दू मंदिरों से हुआ तत्पश्चात बौद्ध धर्म और फिर ईसाई धर्म ने इस परंपरा को अपनाया।
मंदिरों में घंटी लगाए जाने के पीछे धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक आधार भी हैं। घंटी बजाने पर वातावरण में कंपन उत्पन्न होती है जोकि काफी दूर तक जाती है। इस कंपन से उत्पन्न होने वाली ध्वनि संपूर्ण क्षेत्र में आने वाले जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देती है जिससे आस-पास का वायुमंडल सात्विक हो जाता है।