Kundli Tv- पौराणिक कथा से जानें क्यों मनाते हैं धनतेरस

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Nov, 2018 12:53 PM

why do we celebrate dhanteras

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, धनतेरस मनाने की कथा राजा बलि और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु ने राजा बलि के डर से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए वामन अवतार लिया था।

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धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, धनतेरस मनाने की कथा राजा बलि और भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु ने राजा बलि के डर से देवताओं को मुक्ति दिलाने के लिए वामन अवतार लिया था। जिसके बाद वह यज्ञ स्थल पर जा पहुंचे। जैसे ही भगवान विष्णु यज्ञ स्थल पर पहुंचे वहां मौजूद असुरों के गुरु शुक्राचार्य उन्हें पहचान गए। उन्होंने राजा बलि से कहा कि वामन जो भी मांगे वो उन्हें न दिया जाए साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ये वामन के रूप में भगवान विष्णु हैं। जो देवताओं की सहायता करने के लिए यहां आए हैं लेकिन राजा बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं सुनी और वामन भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान करने के लिए तैयार हो गए। 
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शुक्राचार्य ऐसा नहीं चाहते थे इसलिए राजा बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य ने उनके कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर लिया। गुरु शुक्राचार्य की ये चालाकी भगवान विष्णु समझ गए। जिसके बाद उन्होंने अपने हाथों में मौजूद कुशा को कमंडल में इस तरह रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। कहा जाता है कि इसके बाद भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि को बलि ने दान करने का फैसला ले लिया। उस समय भगवान वामन ने अपने एक पैर से पूरी धरती को नापा और दूसरे पैर से अंतरिक्ष को नाप लिया लेकिन तीसरा पैर रखने के लिए कुछ स्थान नहीं बचा था, जिसके बाद बलि ने वामन भगवान के चरणों में अपना सिर रख दिया। इस तरह से देवताओं को बलि के भय से मुक्ति मिल गई थी। इसी जीत की खुशी में धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
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