...तो इसलिए लगाए जाते हैं भगवान कृष्ण को छप्पन भोग

Edited By Lata,Updated: 30 Apr, 2019 10:13 AM

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ये बात तो सब जानतें ही होंगे कि भगवान कृष्ण को छप्पन प्रकार के अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

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ये बात तो सब जानतें ही होंगे कि भगवान कृष्ण को छप्पन प्रकार के अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को लगने वाले ये भोग बहुत ही खास होते हैं। इसी बात को लेकर शास्त्रों में बहुत सी कथाएं भी प्रचलित हैं। लेकिन क्या आपने ये सोचा है कि आखिर 56 प्रकार के भोजन का भोग ही क्यों लगवाया जाता है? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी के बारे में बताएंगे। 
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शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार माता यशोदा अपने लला को एक दिन में आठ प्रहर भोजन करवाती थी। फिर जब भगवान के कहने पर सभी व्रजवासियों को इंद्र की पूजा करने की बजाए गोवर्धन की पूजा करने को कहा तो इंद्र इस बात से बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने व्रज में वर्षा की जिससे कि व्रज कुछ ही पल में जल मग्न हो गया। इंद्र के प्रकोफ से बचने के लिए भगवान ने गोवर्धन को अपनी सबसे छोटी उगंली पर धारण किया और पूरे व्रज को इंद्र से बचाया। तब लगातार सात दिनों तक भगवान ने गोवर्धन को बिना अन्न और जल ग्रहण किए ही उठाए रखा। आठवें दिन जब भगवान ने देखा कि अब इंद्र की वर्षा बंद हो गई है, तब उन्होंने सारे बृजवासियों को गोवर्धन पर्वत नीचे उतर जाने के लिए कहा। तब दिन में आठ प्रहर भोजन करने वाले श्रीकृष्ण को लगातार सात दिनों तक भूखा रहना पड़ा और यह बात माता यशोदा के लिए बहुत ही कष्टकारक थी कि उनके लला को इतने दिनों तक भूखे रहना पड़ा।  

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सारे व्रजवासियों के मन में ये बात आने लगी कि उनका लला इतने दिनों से भूखा रहा और हमारी रक्षा करता रहा। तब भगवान के प्रति प्रेम और श्रद्धा रखते हुए सारे व्रज के वासियों ने माता यशोदा सहित सातों दिनों और आठों प्रहर के हिसाब से व्यंजनों का भोग बाल-गोपाल को लगाया और इसी वजह से ही भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। 
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56 भोग के संबंध में एक और कथा शास्त्रों में वर्णित है कि जब कृष्ण को अपने पति के रूप में पाने के लिए एक महीने तक सुबह यमुना में स्नान किया और इसके साथ ही मां कत्यायिनी की पूजा-अर्चना की, तभी भगवान ने उन सबकी मनोकामना को सहमति भी दी। जिसके बाद से सभी गोपियों ने मिलकर भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया था।   

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