Edited By Lata,Updated: 26 Sep, 2019 09:54 AM
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है और वहीं पूजा की साम्रगी में नारियल की महत्वता अधिक होती है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है और वहीं पूजा की साम्रगी में नारियल की महत्वता अधिक होती है। बता दें कि नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। हर एक पूजा में श्रीफल होना अनिवार्य बताया जाता है। कहते हैं कि भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया तो वे अपने साथ तीन चीजें लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु लेकर आए थे। का अर्थ है लक्ष्मी अर्थात नारियल लक्ष्मी व विष्णु का फल।
शास्त्रों के अनुसार नारियल में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। मान्यता अनुसार नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि नारियल चढ़ाने से धन संबंधी सारी मुसीबतें दूर होती हैं। मान्यता अनुसार नारियल में बनी तीन आंखों को त्रिनेत्र के रूप में देखा जाता है। बता दें कि पूजा में नारियल का प्रयोग होता है, वहीं नवरात्रि में भी नारियल जरूर चढ़ाया जाता है।
ऐसा माना गया है कि शिवलिंग का रुद्रभिषेक नारियल पानी से किया जाता है। श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक माना जाता है। किसी को सम्मान देने के लिए श्रीफल भी भेंट किया जाता है। तिलक, विवाह, विदाई, के समय श्रीफल भेंट किया जाता है। वैदिक अनुष्ठानों में कर्मकांड में सूखे नारियल को वेदी में होम किया जाता है।
नारियल नहीं फोड़ती स्त्रियां
श्रीफल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन अर्थात प्रजनन का कारक माना जाता है। श्रीफल को प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती हैं और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं।