Edited By Jyoti,Updated: 24 Feb, 2019 12:41 PM
अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि हिंदू धर्म में होने वाली पूजा-अर्चना में अक्षत यानि चावलों का इस्तेमाल ज़रूर होता। बता दें कि ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अक्षत का अर्थ होता है कि जो टूटा न हो।
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अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि हिंदू धर्म में होने वाली पूजा-अर्चना में अक्षत यानि चावलों का इस्तेमाल ज़रूर होता। बता दें कि ज्योतिष और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अक्षत का अर्थ होता है कि जो टूटा न हो। ज्योतिष के अनुसार पूजन दौरान वक्त, गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम के बाद अक्षत चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि अगर पूजा में अक्षतका प्रयोद न किया जाए तो पूदा अधूरी मानी जाती है। लेकिन आप में से कभी किसी ने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों होता है। आखिर क्यों चावल का हर तरह की पूजा में होना अनिवार्य माना जाता है। अगर नहीं तो चलिए हम आपको इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं, जिसके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान को अक्षत यानि तवाल भेंट करना ये भाव प्रगट करता है कि जिस तरह हमने आपको पूर्ण चावल आपको अर्पित किए हैं। आप हमें हमारे सत्कर्मों का पूरी फल प्रदान करें। कहा जाता है कि चावल व्यक्ति के दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तु है। इसका जितना प्रयोग घर की रसोई में होता है, उतना ही नहीं घर के पूजा स्थल में ही होता है।
हर प्रकार की पूजा में उपयोग से लेकर ये माथे पर तिलक लगाने में भी प्रयोग किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
बता दें कि ज्योतिष में पूजा में चावल को अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुङ्कमाक्ता: सुशोभिता:।
मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥
मंत्र का अर्थ-
हे ईश्वर! कुंकुम के रंग से सुशोभित ये अक्षत आपको समर्पित कर रहे हैं, कृपया इसे स्वीकार करें।
ज्योतिष शास्त्र में अक्षत यानि चावल को श्रेष्ठ माना गया है। बता दें कि इसे देवान्न भी कहते हैं मतलब देवताओं का प्रिय अन्न।
यहां जानें देवी-देवताओं पर चावल अर्पित करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं-
कहा जाता है कि शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी बहुत प्रसन्न होते हैं। इससे खुश होकर भोलेनाथ अपने भक्तों को अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं।
अगर कोई ग्रहों के देवताओं को खुश करने के लिए नवग्रह स्तोत्र का पाठ करता है तो उसे अपने हाथ में अक्षत और पुष्प ज़रूर रखना चाहिए।
वहीं शुक्रवार को लक्ष्मी मां को चावल की खीर को भोग लगाने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
विभिन्न देवी-देवताओं को चावल चढ़ाने से पैसों की समस्याएं की दूर होती हैं।
सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से सूर्यदेव शुभ फल प्रदान करते हैं।
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