Edited By Lata,Updated: 29 Apr, 2019 01:19 PM
यह बात तो सब जानते ही होंगे कि किसी भी मंदिर में प्रणाम और भगवान के दर्शन करने के बाद परिक्रमा की जाती है और यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है।
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यह बात तो सब जानते ही होंगे कि किसी भी मंदिर में प्रणाम और भगवान के दर्शन करने के बाद परिक्रमा की जाती है और यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। लेकिन हम में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें शायद ही इसके पीछे का कारण पता होगा। धर्म ग्रन्थों के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा के बाद मंदिर की परिक्रमा करना अनिवार्य है। क्योंकि इसके पीछे न केवल धार्मिक मान्यता बल्कि वैज्ञानिक मान्यता भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो हम परिक्रमा करते हैं वो गीले कपड़ों में होती है? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की वजह-
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कहते हैं कि मंदिर की परिक्रमा एक निश्चित संख्या में की जाती है और बिना विधि-विधान के की गई पूजा और परिक्रमा के कारण फल प्राप्ति में कमी आ सकती है। भगवान के दर्शन व पूजा के बाद की गई परिक्रमा से ही पूजन का फल मिलता है और साथ ही इसके प्रभाव से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि मंदिर में होने वाली आरती, पूजा, मंत्र व जाप से वहां का वातावरण शुद्ध और सकरात्मक हो जाता है और जब हम परिक्रमा करते हैं तो हमें मंदिर में पहले से मौजूद सकरात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे मन को एक अलग ही शांति का एहसास होता है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर शास्त्रों में गीले कपड़ों को पहनकर परिक्रमा करने का विधान बताया गया है। कहते हैं कि मंदिर में पहले से मौजूद सकरात्मक ऊर्जा के कारण परिक्रमा करने वाले व्यक्ति के शरीर पर इसका असर पड़ता है, लेकिन इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि गीले कपड़ों में परिक्रमा करने पर उस स्थान पर मौजूद सकरात्मक ऊर्जा अच्छे से ग्रहण हो जाती है और शरीर में स्फूर्ती आती है। इसलिए पुराने समय में हर मंदिर के प्रगण में जलकुंड होते थे।
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