Kundli Tv- यहां जानें, क्यों बप्पा का मनपसंद है मोदक

Edited By Jyoti,Updated: 10 Sep, 2018 12:37 PM

why lord ganesha likes modak

हिंदू धर्म के ग्रथों के अनुसार भगवान गणेश को मोदक अधिक प्रिय है। कहा जाता है कि गणपति बप्पा इसके भोग से अति प्रसन्न होते हैं।

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हिंदू धर्म के ग्रथों के अनुसार भगवान गणेश को मोदक अधिक प्रिय है। कहा जाता है कि गणपति बप्पा इसके भोग से अति प्रसन्न होते हैं। एेसी मान्यता है कि जो लोग इन्हें मोदक का भोग नहीं लगाते उन पर गजानन जल्दी अपनी कृपा नहीं बरसाते। 
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आखिर क्यों गजानन को इतने प्रिय है मोदक
इतना तो हम आपको बता चुके हैं कि बप्पा को मोदक बहुत पसंद है, लेकिन अब हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों गणेशा जी को सब मिष्ठानों में से केवल मोदक ही भाता है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इसके पीछे 5 पौराणिक कारण हैं। आइए जानते हैं वो पांच कारण जो बताते हैं आखिर क्यों गणेश जी को मोदक इतने पसंद हैं।  
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बहुत से लोग जानते होंगे कि गणेश जी का एक दांत परशुराम के साथ युद्ध में टूट गया था। एेसा कहा जाता है कि इससे अन्य चीजों को खाने में गणेश जी को तकलीफ़ होती है, क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है। मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है और इसका मीठा स्वाद मन को आनंदित कर देता है।

इसके साथ यह भी कहा जाता है कि भगवान गणेश को मोदक इसलिए भी पसंद है क्योंकि मोदक प्रसन्नता प्रदान करने वाला मिष्टान माना जाता है। मोदक के शब्दों पर गौर करें तो 'मोद' का अर्थ होता है हर्ष यानि खुशी। क्योंकि बप्पा को मंगलकारी और सदैव प्रसन्न रहने वाला देवता कहा गया है इसलिए मोदक के इसी गुण के कारण गणेश जी सभी मिष्टानों में मोदक को अधिक पसंद करते हैं। 
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इस सबके अलावा पद्म पुराण के सृष्टि खंड में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा का वर्णन मिलता है। जिसमें बताया गया है कि मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया। जब गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन अपनी माता पार्वती से सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गई। इसे खाने के बाद गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश मोदक प्रिय बन गए। 

गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है, "यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।"
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इसका अर्थ है जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक अर्पित करके प्रसन्न करता है उसे गणपति मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। तमाम पुराणों के साथ-साथ यजुर्वेद में भी गणेश जी के प्रिय मोदक के बारे में कुछ कहा गया है। इसके अनुसार गणेश जी परब्रह्म स्वरूप हैं। अक्सर आप लोगों ने देखा होगा कि गणेश जी के प्रत्येक स्वरूप में उनके दाएं हाथ में लड्डू यानि मोदक रहता है। माना  जाता है कि लड्डू का आकार ब्रह्माण्ड के समान है। गणेश जी के हाथों में लड्डू का होना यह भी दर्शाता है कि गणेश जी ने ब्रह्माण्ड को धारण कर रखा है। सृष्टि के समय गणेश जी ब्रह्मण्ड को प्रलय रूपी मुख में रखा लेते हैं और सृष्टि के आरंभ में इसकी रचना करते हैं।
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