पुराणों में इन पात्रों को शादी के बावजूद भी कुंवारी क्यों माना जाता था ?

Edited By Lata,Updated: 09 Jan, 2019 03:19 PM

why these characters were considered as unmarried despite the marriage

हिंदू धर्म के ग्रंथों और पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं, जिनका रहस्य अब तक बरकार है। आज हम आपको पुराणों में मौजूद एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर शायद आप हैरान हो जाएंगे।

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हिंदू धर्म के ग्रंथों और पुराणों में ऐसी कई कथाएं हैं, जिनका रहस्य अब तक बरकार है। आज हम आपको पुराणों में मौजूद एक ऐसी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर शायद आप हैरान हो जाएंगे। बात करेंगे पौराणिक ग्रथों में शामिल कुछ ऐसी महिलाओं की जोकि शादी-शुदा होने के बावजूद भी कुंवारी मानी जाती हैं। तो चलिए जानते हैं उन देवियों के बारे में-

देवी अहिल्या
पद्मपुराण की कथा के मुताबिक गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पर देवराज इंद्र की नज़र थी। एक दिन ऋषि नदी में स्नान के लिए आश्रम से दूर गए और उधर मौके को देखते हुए इंद्र गौतम ऋषि का रुप धारण करके अहिल्या के पास आश्रम में पहुंच कर उससे शारीरिक संबंध बना लिए। जब इस बात का पता गौतम ऋषि को चला तो उन्होंने अपनी पत्नी को श्राप दे दिया। अपने पति के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान होने के कारण देवी अहिल्या ने उनकी इस बात को स्वीकार कर लिया। यही कारण है कि उन्हें पवित्र माना जाता है।
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देवी द्रौपदी
द्रौपदी को पांच पतियों की पत्नी होने के कारण पांचाली भी कहा जाता है। अपने पांचों पतियों के प्रति पूरी तरह से ईमानदार होने के कारण इनका व्यक्तित्व काफ़ी मज़बूत रहा। इन्होंने कभी भी किसी एक पति के साथ रहने की जिद्द नहीं की। इसलिए शास्त्रों में हर मोड़ पर अपने पतियों का साथ निभाने वाली द्रौपदी को कुंवारी कन्या कहा गया है।
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देवी मंदोदरी
पौराणिक ग्रथों के अनुसार मंदोदरी को बेहद खूबसूरत माना गया है। उनकी सुंदरता को देखकर ही लंका नरेश रावण ने उनसे विवाह किया था। रावण की मौत के बाद श्रीराम के कहने पर विभीषण ने मंदोदरी को आश्रय दिया। मंदोदरी के गुणों के कारण ही उनको पवित्र कन्याओं की तरह माना गया है।
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देवी कुंती
पांडु की पत्नी कुंती ने दुर्वासा ऋषि से सूर्य मंत्र की प्राप्ति करके शादी से पहले ही उनका ध्यान लगाकर एक पुत्र की प्राप्ति की थी। मान्यता है कि पति की मौत के बाद उसी मंत्र का दोबारा इस्तेमाल करके कुंती ने अलग-अलग देवताओं से संतान प्राप्ति की ताकि पांडु वंश आगे बड़ सके। इसी वजह से उसे कौमार्या माना गया है।

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बता दें पौरणिक शास्त्रों के अनुसार जो औरतें अपने पति के प्रति ईमानदार थी, उन्हीं को कौमार्या का दर्जा दिया गया है।  
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