कहीं आप भी तो जाने-अनजाने नहीं करते तुलसी की तपस्या भंग अगर हां तो...

Edited By Jyoti,Updated: 10 Sep, 2020 01:59 PM

why tulsi should not be broken on sunday

सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को कोई आम पौधा नहीं माना जाता बल्कि इसे विभिन्न तरह के  धार्मिक तथ्य जुड़े हुए हैं, जिस कारण इसका अधिक महत्व है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को कोई आम पौधा नहीं माना जाता बल्कि इसे विभिन्न तरह के  धार्मिक तथ्य जुड़े हुए हैं, जिस कारण इसका अधिक महत्व है। खासतौर पर भगवान विष्णु की पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं की मानें तो बिना तुलसी के भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अधूरी ही रहती है। हालांकि कुछ देवताओं पर इसे चढ़ाना अशुभ भी माना जाता है। तो दूसरी ओर कहा जाता है रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना को क्या छूना भी मना होता है। यही कारण है कि श्री हरि की रविवार को पूजा में प्रयोग होने वाले तुलसी को एक दिन पहले ही तोड़ कर रख लिया जाता है। मगर ऐसा क्यों हैं, क्यों तुलसी को केवल रविवार को छूना अशुभ माना जाता है। ये एक ऐशा प्रश्न है, जिसके बार में सोचा तो बहुत लोगों ने होगा मगर इसके बारे में जानने की कोशिश शायद ही किसी ने की होगी। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आखिर तुलसी को रविवार के दिन छूना अच्छा नहीं माना जाता। 
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सनातन धर्म की मान्यातओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। ज्योतिषियों की मानें तो भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन बृहस्पतिवार यानि गुरुवार का दिन सबसे शुभ होता है, क्योंकि ये दिन भगवान विष्णु की अधिक प्रिय है। मगर कुछ मान्यताएं ये भी है कि रविवार का दिन भी नारायण को अत्यंक पसंद है। जिस कारण इस दिन भी इनकी पूजा करनी लाभदायक मानी जाती है। मगर कहा जाता है कि इस दिन इनकी प्रिय तुलसी के पत्तों को टहनियों से तोड़ा नहीं जाता। 

ऐसा कहा जाता है जो भी व्यक्ति ऐसा करता है श्री हरि उस पर क्रोधित हो जाते हैं जिस कारण जातक के जीवन में सब कुछ खराब होने लगता है। दरअसल ऐसा करना इसलिए मना है कि क्योंकि सप्ताह के 7  दिनों में रवि और मंगल को क्रूर तो शनि को अशुभ वार माना जाता है। जिस कारण मंगल और शनिवार को भी तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध रहता है। इसके अलावा एकादशी भी भगवान विष्णु को प्रिय है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। इसलिए एकादशी पर तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। तो अगर हिंदू धर्म की अन्य मानें तो तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता। इसकी पत्तियों पर हर रोज़ जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है। इसलिए रोज़ाना तुलसी के पत्ते तोड़ने की आवश्यरकता नहीं होती।

माना जाता है कि विष्णु भक्त होने की वजह से रविवार को तुलसी उनकी भक्ति में लीन रहती है। उनकी तपस्या भंग न हो इसलिए रविवार के दिन गमले में पानी भी नहीं दिया जाता। पुराणों के मुताबिक द्वादशी, संक्रांति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण और संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। कहा जाता है कि बिना उपयोग कभी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
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ऐसा करना तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है।कुछ लोग बिना नहाए धोए तुलसी के पत्ते को तोड़ लेते हैं, जिसे अच्छा नहीं माना जाता। शास्त्रों के मुताबिक तुलसी को बिना स्नान किए कभी छूना नहीं चाहिए। अगर कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता और उनका इस्तेमाल पूजन में करता है तो ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं होते हैं।


 

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