Edited By Jyoti,Updated: 11 Apr, 2020 02:21 PM
ग्रह और नक्षत्र हर तरह से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कैसे 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों का मानव जीवन में मह्तव है।
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ग्रह और नक्षत्र हर तरह से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि कैसे 9 ग्रह और 27 नक्षत्रों का मानव जीवन में मह्तव है। तो वहीं जन्म के समय पर बनने वाली जन्म कुंडली भी इनकी मदद से बनाई जाती है। इस दौरान इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि बच्चे के जन्म के समय सौर मंडल में किस ग्रह और नक्षत्र का चल रहा था, फिर उसके हिसाब से जन्मकुंडली तैयार की जाती है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र में इनसे जुड़े कई उपाय आदि भी बताए गए हैं। मगर इसमें इन दोनों से संबंधित एक और ऐसी जानकारी दी गई है जो बहुत लाभकारी साबित हो सकती है। इतना नहीं बल्कि इसकी मदद से आपकी बहुत से इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है।
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है नवग्रह और 27 नक्षत्रों का शुभ औ अशुभ दोनों तरह का प्रभाव होता है। मगर जब इनका अशुभ प्रभाव शुरू होता है को जीवन में परेशआनियों का आरंभ हो जाता है। ऐसे में वे समझ नहीं पाते कि इनके बुरे प्रभाव को कम कैसे किया जाए। अगर आपको भी लग रहा है कि आपकी कुंडली में कोई ग्रह अशुभ प्रभाव दे रहा है तो बता दें ऐसे में आप इसके अशुभ असर से छुटकारा पा सकते हैं। वो भी बहुत सरलता से। जी हां, ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिस भी ग्रह की दशा खराब हो उससे जुड़े पेड़-पौधे की पूजा कर लेना चाहिए। इससे ग्रह स्वामी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने अशुभ प्रभाव को खत्म कर शुभ फल देने लगते हैं। हम जानते हैं अब आपके मन में ये जानने की इच्छा जागी होगी कि कौन सा ग्रह किस पेड़ से संबंधित होता है तो घबराईए मत आपको बताएंगे इस से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
नवग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ग्रह के अनुसार इन पौधों का पूजन कर जल अर्पित करें-
1- सूर्य - लाल गुलाब, मदार या कनेर
2- गुरु – केला, पंज बेल या गैंदी
3- शुक्र – गूलर, कनैर या तुलसी
4- शनि – शमी या शमा बैजंती
5- चंद्र – पलाश, कनेर या चमेली
6- बुद्ध – अपामार्ग, पान या बेला
7- मंगल – गुडहल, खैर या लाल चंदन
8- राहु – दूर्वा, नीम या सदा सुहाग
9- केतु – कुशा, पंज बेल या गैंदी
ध्यान रहे उपरोक्त सभी ग्रहों की शांति के लिए इस मंत्र का उच्चारण करते हुए प्रार्थना करनी अनिवार्य है।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, शशि, मंगल भय बाधा हर दो।
अर्थात- हे बुध, गुरु, भृगु, राहु, केतु, शनि दुख अनिष्ठ शांत कर दो।।