Kundli Tv- गणपति के इस अवतार के बारे में जानते हैं आप

Edited By Jyoti,Updated: 01 Dec, 2018 02:14 PM

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हिंदू धर्म में जितने भी भगवान हैं, उन्होंने राक्ष्सों का वध करने के लिए अनेकों रूप धारण किए हैं। इनमें से एक हैं भगवान गणेश। कहते हैं इन्होंने ही अपने बचपन से ही बहुत असुरों को मारकर उन्हें मुक्ति दिलाई।

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हिंदू धर्म में जितने भी भगवान हैं, उन्होंने राक्ष्सों का वध करने के लिए अनेकों रूप धारण किए हैं। इनमें से एक हैं भगवान गणेश। कहते हैं इन्होंने ही अपने बचपन से ही बहुत असुरों को मारकर उन्हें मुक्ति दिलाई। तो आइए आज इन्हीं से जुड़ी एक एेसी पौराणिक कथा के बारे मे जानते हैं जिसके बारे में आप में से बहुत लोग जानते तो होंगे कि लेकिन पूरी कहानी क्या है ये है किसी को नहीं पता होगा। 
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मान्यता है कि जब भी पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों का प्रकोप बढ़ा है तब-तब भगवान गणेश ने लोगों को संकट से निकालने के लिए अवतार लिए हैं। हिंदू धर्म के शास्त्र गणेश पुराण, मुद्गल पुराण और गणेश अंक में भगवान गणेश के अवतारों का वर्णन मिलता है। इसके अलावा कुछ अन्य ग्रंथों में भी गणेश के अवतारों के बारे में बताया गया है। जो इस प्रकार हैं इनमें विनायक, गजानन, गणेश, लंबोदर, एकदंत, वक्रतुंड, विघ्नराज, भालचंद्र, गणधिप, हेरंब, कृष्णपिंगाक्ष, आखुरघ, गौरीसुत और विकट।
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यहां जानें भगवान गणेश के विकट अवतार के बारे में-
पुराणों के अनुसार भगवान गणेश ने कामासुर के अहंकार को खत्म करने के लिए एक अवतार लिया था। प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, कामा आसुर भगवान विष्णु का अंश था। जब विष्णु जालंधर के वध के लिए वृंदा का तप नष्ट करने पहुंचे तो उनके शुक्र से एक अत्यंत तेजस्वी असुर पैदा हुआ। कामाग्नि से पैदा होने के कारण उसका नाम कामासुर हुआ। कामासुर ने बाद में दैत्यगुरु शुक्राचार्य से शिक्षा प्राप्त की और ब्रह्माण्ड पर विजय करने का सोचा। 
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गुरु शुक्राचार्य ने अपने शिष्य कामासु  से खुश उसे विजय पाने के लिए शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या करने का सुझाव दिया। जिसके बाद कामासुर ने भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए कठोर तपस्या की, जिससे अन्न, जल त्याग के कारण उसका शरीर जीर्ण शीर्ण हो गया। 
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उसकी तपस्या से खुश होकर शिव जी ने प्रकट हुए और उसे वर मांगने को कहा। उसने ब्रह्माण्ड का स्वामी, शिवभक्ति और मृत्युंजयी होने का वरदान मांगा। वरदान मिलने के बाद अहंकार में चूर कामासुर ने पृथ्वी के समस्त राजाओं को पराजित कर, स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। तब महर्षि मुद्गल के मार्ग दर्शन में सभी देवी, देवता और ऋषि-मुनि ने कामासुर से छुटकारा पाने के लिए श्री गणेश की उपासना की। इस तरह गणेश ने उपासना से प्रसन्न होकर विकट अवतार लिया। मयूर पर सवार विकट ने सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर कामासुर की राजधानी को घेर लिया और युद्ध किया। इस घमासान युद्ध में कामासुर के दोनों पुत्र भी मारे गए। जिसेक बाद कामासुर को ये अच्छी तरह से पता चल गया है कि उसका अंत नज़दीक है।
इसलिए विकट के गुस्से से बचने के लिए उसने अपने अस्त्र-शस्त्र त्याग दिए थे और उनकी शरण में आ गया था।
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