Edited By Lata,Updated: 06 Nov, 2019 11:30 AM
इस बात को तो सब जानते ही हैं कि भगवान विष्णु ने जितने भी अवतार लिए उनके पीछे कोई न कोई कारण जरूर रहा है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
इस बात को तो सब जानते ही हैं कि भगवान विष्णु ने जितने भी अवतार लिए उनके पीछे कोई न कोई कारण जरूर रहा है। वैसे तो उनके सारे अवतार ही मन को मोहित करने वाले हैं। लेकिन उनका कृष्ण अवतार सबसे अधिक मनमोहक रहा है। उन्होंने ये अवतार द्वापर युग में अपने मामा कंस के अत्यचारों से लोगों को बचाने के लिए था। कहते हैं कि जिस दिन भगवान ने उसके अत्याचार से शूरसेन जनपद वासियों को मुक्त कराया था, वह तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी, जोकि कल यानि 07 नवंबर दिन गुरुवार को पड़ रही है। इसलिए आज हम आपको कंस से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप में से बहुत कम लोगों से सुना होगा।
कंस के पिता का नाम उग्रसेन था, वे शूरसेन जनपद के राजा थे। उग्रसेन यदुवंशीय राजा आहुक के पुत्र थे। उनकी माता का नाम काश्या थीं, जो काशीराज की पुत्री थीं। उग्रसेन दो भाई थे, उनके भाई का नाम देवक था। कंस के नौ भाई और पांच बहनें थे और कंस इन सब में बड़ा था। उसकी बहनों का ब्याह वसुदेव के छोटे भाइयों से हुआ था।
कंस ने अपने पिता उग्रसेन को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया था और स्वयं शूरसेन जनपद का राजा बन बैठा। मथुरा शूरसेन जनपद में ही था। उसने मगध के शासक जरासंध की दो बेटियों से अपना विवाह किया था। इस कारण वह और शक्तिशाली हो गया था।
कंस के काका का नाम शूरसेन था, वे मथुरा पर शासन करते थे। उनके पुत्र वसुदेव का विवाह कंस की चचेरी बहन देवकी से हुआ था। देवकी से ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। कंस देवकी से काफी स्नेह करता था। एक दिन वह देवकी के साथ कहीं जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि तू जिस देवकी से इतना स्नेह करता है, उसका 8वां पुत्र ही तेरी मौत का कारण बनेगा।
मौत के भय से कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया। उसने एक-एक करके देवकी के 6 बेटों को मार डाला। फिर शेषनाग ने मां देवकी के गर्भ में प्रवेश किया तो भगवान विष्णु ने माया से वसुदेव की पत्नी रोहिणी के पेट में उस गर्भ को रख दिया। इसके बाद भगवान विष्णु स्वयं माता देवकी के गर्भ से कृष्णावतार में पृथ्वी पर आए। वे वासुदेव की आठवीं संतान थे। भगवान विष्णु के आदेशानुसार, वासुदेव बाल कृष्ण को नंदबाबा के घर पहुंचा आए।
जब कंस को कृष्ण के गोकुल में होने की सूचना मिली, तो उसने कई बार उनकी हत्या की कोशिश की, लेकिन हर बार विफल रहा। तब एक दिन उसने साजिश के तहत कृष्ण और बलराम को अपने दरबार में आमंत्रित किया। जहां श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपने माता-पिता देवकी और वसुदेव को कारागार से मुक्त कराया। कंस वध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उग्रसेन को दोबारा राजा की गद्दी पर बैठा दिया।