सत्य घटना: यहां सच में प्रकट हुए थे भगवान, आज भी कर सकते हैं उनका दीदार

Edited By ,Updated: 19 Aug, 2015 09:07 AM

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भारत के राज्य बंगाल में श्रीखण्ड नामक जगह पर भगवान के भक्त रहते थे श्रीमुकुन्द दास। आप अपने घर में श्रीगोपीनाथ जी के विग्रह (मूर्ति) की सेवा करते थे। एक बार आपको किसी कार्य से बाहर जाना था। तब आपने अपने पुत्र रघुनन्दन को बुलाया व

भारत के राज्य बंगाल में श्रीखण्ड नामक जगह पर भगवान के भक्त रहते थे श्रीमुकुन्द दास। आप अपने घर में श्रीगोपीनाथ जी के विग्रह (मूर्ति) की सेवा करते थे। एक बार आपको किसी कार्य से बाहर जाना था। तब आपने अपने पुत्र रघुनन्दन को बुलाया व कहा कि आपको किसी विशेष कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है। घर में श्रीगोपीनाथ जी हैं। सही समय पर माता जी से भोग की थाली लेकर ठाकुर जी को बड़े यत्न से भोग लगा देना।

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रघुनंदन ने हामी भर दी। आप कार्य के लिए चले गए। माता जी ने जब भोग थाली में सजा दिया तो रघुनन्दन को आवाज़ लगाई कि आकर भोग लगा दे। रघुनंदन जी अपने मित्रों के साथ खेल रहे थे। माता की आवाज़ पर अन्दर आए व भोग की थाली श्रीगोपीनाथ जी के आगे रखकर बोले,"आप इसे खाएं, मैं कुछ देर में थाली ले जाऊंगा।"

थोड़ी देर में रघुनंदन जब अन्दर आए तो देखा थाली वैसी की वैसी ही रखी है और श्रीगोपीनाथ जी ने उसे छुआ भी नहीं है। बालक रघुनंदन सरल भाव में रोने लगे। आप डर गए कि पिता जी को जब पता लगेगा कि आपकी गलती की वजह से गोपीनाथ जी ने कुछ नहीं खाया तो आपको डांट पड़ेगी। आप रोते-रोते गोपीनाथ जी को निवेदन करने लगे कि कृपया आप खाएं। 

बालक भक्त को ऐसे रोते देख गोपीनाथ जी से रहा नहीं गया और उन्होंने गुप्त रूप से सारा भोग खा लिया। संध्या में श्रीमुकुन्द जी आए तो बालक से बोले," जाओ, गोपीनाथ जी का प्रसाद ले आओ।"

बालक रघुनंदन ने कहा,"वह तो गोपीनाथ जी सारा खा गए, कुछ बचा ही नहीं।"

श्रीमुकुन्द यह सुनकर हैरान रह गए पर कुछ बोले नहीं। फिर कुछ दिन बाद बालक को सेवा करने के लिए कह कर स्वयं घर से बाहर जाकर और फिर घर में आकर छिप गए।

भोग का जब समय हुआ तो रघुनंदन जी ने माता द्वारा भोग की थाली में सजाए गए लड्डू को उठाया व गोपीनाथ जी को लड्डू देते हुए बोले,"लो खाओ, लो खाओ।"

गोपीनाथ जी फिर प्रकट हो गए और बालक रघुनंदन के हाथ से लड्डू लेकर खाने लगे। श्रीगोपीनाथ जी ने जब आधा लड्डू खा लिया तो उसी समय श्रीमुकुन्द जी कमरे में देखने के लिए आ गए।

आधा लड्डू जो बच गया था, वो गोपीनाथ जी ने नहीं खाया। यह देखकर मुकुन्द जी प्रेम में विभोर हो गए आपके नयनों से अश्रुधारा बहने लगी कण्ठ गद्-गद् हो गया और अति प्रसन्न होकर आपने रघुनन्दन को गोद में उठा लिया।

आज भी श्रीखण्ड में आधा लड्डू लिए श्रीगोपीनाथ जी विराजमान हैं। कोई भाग्यवान ही उनके दर्शन पा सकता है।

श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज

bhakti.vichar.vishnu@gmail.com 

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