यहां आज भी होती है रासलीला, जिसने भी देखा हो गए अंधे, बहरे और गूंगे

Edited By ,Updated: 04 Sep, 2015 01:31 PM

article

ब्रजमंडल धाम का वृन्दावन श्री राधा-कृष्ण के प्रेम की पावन भूमि है। वृन्दावन को श्री कृष्ण की महारास स्थली माना जाता है। यहां आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। वृन्दावन तीर्थ क्षेत्र में निधिवन एक अत्यन्त पवित्र धार्मिक परंतु रहस्यमयी...

ब्रजमंडल धाम का वृन्दावन श्री राधा-कृष्ण के प्रेम की पावन भूमि है। वृन्दावन को श्री कृष्ण की महारास स्थली माना जाता है। यहां आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। वृन्दावन तीर्थ क्षेत्र में निधिवन एक अत्यन्त पवित्र धार्मिक परंतु रहस्यमयी स्थान है। वृन्दावन का निधिवन श्री कृष्ण की महारास स्थली माना जाता है। शास्त्रों में श्री राधारानी की आठ प्रमुख सखियों का वर्णन आता है। वृंदावन का निधिवन क्षेत्र राधा की आठ में से एक सखी श्री ललिता जी के अवतार रसिक संत शिरोमणि श्री स्वामी हरिदास जी महाराज की साधना स्थली माना जाता है। वृंदावन का निधिवन क्षेत्र में श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि है तथा यहां पर राधा रानी का रंग महल और बिहारी जी का प्राकट्य स्थल स्थित है। 

यहां प्रतिदिन महारानी राधा संग महारास रचाते हैं श्री कृष्ण। लोक मान्यता के अनुसार निधिवन आत्याधिक रहस्यमयी स्थल है यहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी जी अर्द्धरात्रि उपरांत रास रचाते हैं और निधिवन परिसर में स्थापित रंग महल में शयन करते हैं। श्री जी की शयन स्थली रंग महल में आज भी श्री माखन-मिश्री का प्रसाद भोग प्रतिदिन रखा जाता है तथा यहां पर श्री प्रिया-प्रियतम आज भी रात्रि में रास रचाते हैं। श्री राधाकृष्ण की सेवार्थ यहां रात के समय में शयन हेतु शैया लगाई जाती है परंतु चमत्कार तो प्रातः देखने को मिलता है जब सुबह शैया के देखने से प्रतीत होता है कि यहां निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया था। 
 
सोलह हाज़ार गोपिकाओं का रहस्य: वृन्दावन के निधिवन में 16000 पेड़ है तथा यहां के पेड़ों की एक विशेषता है। यहां किसी भी पेड़ का तना सीधा नही होता और इन पेड़ों की डालियां नीचे की ओर झुकी हुई और आपस में गुंथी हुई होती है। यही 16000 पेड़ रात्री के समय भगवान कृष्ण की 16000 गोपिकाएं बनकर उनके साथ महारास रचाती हैं। महारास के उपरांत राधा-कृष्ण निधिवन के ही रंग महल में रात्री विश्राम करते हैं। ठाकुर जी और महारानी जी की सेवार्थ जब प्रातः ब्रह्म मुहर्त में श्री रंग महल के पट खोले जाते हैं तो श्री जी के सेवा हेतु रखी हुई दातून गीली मिलती है तथा रंग महल का भी सामान बिखरा हुआ मिलता है। ऐसी भी मान्यता है की सुबह के समय रंग महल स्थित ललित कुण्ड है जिसे विशाखा कुण्ड के नाम से भी जाना जाता हैं उसमे श्री राधा माधव जलक्रीड़ा भी करते हैं।
 
भक्तगण हो जाते है अंधे बहरे और गूंगे: निधिवन में हर रोज़ रात के समय होने वाली श्री जी की रासलीला को देखने वाले भक्तगण अंधे बहरे और गूंगे तथा मनोविकार से पीड़ित हो जाते हैं ताकि वह इस महारास के बारे में कुछ भी वर्णन न कर पाएं। इसी कारण संध्या आरती के बाद लगभग शाम 07:30 बजे यहां दिन के समय विचरनेवाले पुजारी, भक्तगण और यहां तक के पशु पक्षी भी यहां से चले जाते हैं। तथा परिसर के मुख्यद्वार पर ताला जड़ दिया जाता है। यहां जो भी रात्री के समय ठहर जाता है तथा जो व्यक्ति यहां महारास के दर्शन कर लेता है वह वह सांसारिक बंधनों से मुक्ति पा लेता है। 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!