तस्वीरों में देखिए, वो स्थान जहां श्रीराम ने आरंभ किया था 14 वर्ष का वनवास

Edited By ,Updated: 11 Sep, 2015 04:30 PM

article

भगवान श्रीराम देवी सीता और अपने अनुज लक्ष्मण सहित जब वनवास के 14 वर्ष बिताने गए तो महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम को चित्रकूट में अपनी कुटिया बनाने की सलाह दी।

भगवान श्रीराम देवी सीता और अपने अनुज लक्ष्मण सहित जब वनवास के 14 वर्ष बिताने गए तो महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम को चित्रकूट में अपनी कुटिया बनाने की सलाह दी। चित्रकूट मध्यप्रदेश के सतना जिले में मंदाकिनी नदी के तट पर बसा है। चित्रकूट में बहने वाला झरना औसतन 95 फीट की ऊंचाई से गिरता है, तभी तो  इसे भारत का नियागरा फॉल कहते हैं।

सौभाग्य सूचक चरणामृत देता है विपत्ति, क्लेश और अलक्ष्मी से छुटकारा

चित्रकूट स्थान बहुत पावन एवं पवित्र है। भगवान राम ने अपने वनवास का आरंभ यहीं से किया था। माना जाता है की बहुत से साधु-संतों ने भगवान शिव के साथ यहीं पर तपस्या की थी। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने इसी स्थान पर चंद्रमा, मुनि दत्तात्रेय और ऋषि दुर्वासा के रूप में जन्म लिया था। युधिष्ठिर ने चित्रकूट में तप किया था और फिर अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राज-पाठ देकर हिमालय की ओर चले दिए थे। रामायण, पद्मपुराण, स्कंदपुराण और महाभारत महापुराणों में भी इस स्थल का वर्णन मिलता है।

13 सितंबर रविवार को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण, क्या करें क्या नहीं

चित्रकूट में बहुत से खूबसूरत रमणीय स्थल हैं। विधान से समस्त तीर्थों का दर्शन करने के लिए पांच दिनों का समय लगता है। जिनमें राघव प्रयाग, कामदगिरी की परिक्रमा, सीता रसोई, हनुमान धारा, सीतापुर केशवगढ़, प्रमोद वन, जानकी कुंड, सिरसा वन, स्फटिक शिला, अनुयूया आश्रम, गुप्त-गोदावरी, कैलाश दर्शन, चौबेपुर, भरत कूप, राम शैय्या, संकर्षण पर्वत हनुमान धारा मंदिर, हनुमान कुंड, बांके सिद्ध, पंपासर, सरस्वती झरना, यमतीर्थ, सिद्धाश्रम और जटायु तपोभूमि है।

रणछोड़ मन्दिर: खास तिथि को दर्शन करने से पूरी होती हैं मुरादें

अन्य मुख्य स्थानों में

चरण-पादुका के समीप ही लक्ष्मण पहाड़ी है। इसी स्थान से श्रीसीताराम के सोने के बाद लक्ष्मण जी रात को पहरा देते थे। माना जाता है की लक्ष्मण जी को यह स्थान बहुत प्रिय था। 

गुप्त-गोदावरी गुफा में एक बड़े पर्वत में से दो बड़ी गुफाएं निकलती हैं। उन गुफाओं में जमीन के भीतर से गोदावरी नदी का पानी निकलता है, जो कुछ दूरी तक तो देखा जा सकता है लेकिन फिर कहां गायब हो जाता है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका। 

चित्रकूट से औसतन 5 कि.मी. दूर भरत कूप नाम से विख्यात प्राचीन कुआं है। माना जाता है की भगवान राम के प्रिय अनुज भरत उनके राज्याभिषेक के लिए यहीं ये  जल लेकर गए थे। इसी स्थल पर भरत मंदिर भी है। 

भरत कूप और सीतामार्ग के मध्य राम-शैय्या नामक स्थान है। कहते हैं कि श्रीराम और सीता एक रात के लिए यहां विश्राम करने आए थे।  मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम ने अपने और देवी सीता के मध्य धनुष रख कर मर्यादा निभाई थी।

आज भी चित्रकूट के बहुत से स्थानों पर श्रीराम के चरण-चिन्ह देखे जा सकते हैं। इनमें स्फटिक शिला मुख्य है। कहते हैं यहां श्रीराम ने भरत जी से भेंट की थी तभी पत्थर पर उनके चरणों के निशान अंकित हो गए थे।

मंदाकिनी नदी के किनारे अवस्थित चित्रकूट में औसतन 30 तीर्थ स्थान हैं। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!