Pics: भारत ही नहीं विश्व भर में आकर्षण का केंद्र है यह मंदिर, नहीं जा सकते विवाहित पुरुष

Edited By ,Updated: 11 Jul, 2016 12:55 PM

pushkar tirth

राजपूताना शान, धार्मिक सौहार्द तथा हजूर वाजा चिश्ती साहिब की दरगाह के लिए समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में वियात अजमेर शहर से मात्र 14 कि.मी. की दूरी

राजपूताना शान, धार्मिक सौहार्द तथा हजूर वाजा चिश्ती साहिब की दरगाह के लिए समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में वियात अजमेर शहर से मात्र 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है श्री पुष्कर तीर्थ जहां विश्व में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर विद्यमान है। यूं तो सारा पुष्कर ही, अपने आप में पुष्कर झील के आसपास बसा हुआ है जो अपने अति मनमोहक घाटों के लिए आकर्षण का केंद्र है परंतु यह भी एक रोचक तथ्य है कि भारत बल्कि विश्व में जगत पिता ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर भी यहीं है। 

 

हालांकि यहां ब्रह्मा जी के मुय मंदिर का निर्माण 2000 पूर्व हुआ माना जाता है परंतु सफेद संगमरमर तथा लाल पत्थर के बने वर्तमान मंदिर का निर्माण आज से लगभग 700 वर्ष पूर्व हुआ था। हंस की लाल रंग की मूर्ति वाले इस मंदिर के शिखर का फर्श चांदी के सिक्के जड़ कर बनाया गया है। पद्म पुराण की कथानुसार एक बार ब्रह्माजी ने देखा कि वज्रनाभन नामक एक क्रूर राक्षस जनसाधारण तथा साधुजनों को कई त्रासदियां देने के बाद जब वह खुद स्वयं ही अपने बच्चों की हत्या करने लगा तो इस पर क्रोधित होकर ब्रह्मा जी ने अपना कमल उस दैत्य के गले पर दे मारा। उधर पुष्प की पत्तियां टूट कर पुष्कर में तीन स्थानों पर जा गिरीं जिससे वहां तीन जलाशयों का निर्माण हो गया जिन्हें ज्येष्ठ पुष्कर, मध्य पुष्कर तथा कनिष्क पुष्कर के नाम से जाना जाता है। वास्तव में ब्रह्मा जी के हाथ से पुष्प के गिरने से ही इस क्षेत्र का नाम ‘पुष्कर’ प्रसिद्ध हुआ।

 

इसके बाद ब्रह्मा जी द्वारा यहां विश्व कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया, परंतु अन्य राक्षसों द्वारा इस यज्ञ में किसी भी व्यवधान को रोकने के लिए पुष्कर के चारों ओर चार पर्वत उत्तर में नीलगिरी, पूर्व में सूर्यगिरी, दक्षिण में रत्नागिरी तथा पश्चिम में संदोधरा पर्वत का निर्माण कर दिया गया तथा कई देवताओं को उन पर पहरे के लिए बिठा दिया गया। मान्यता है कि कार्तिक मास में पुष्कर तालाब में नहाने से कई पाप धुल जाते हैं। 

 

श्री पुष्कर राज तीर्थ की भूमि को पुण्य अर्जित करने की भूमि भी माना जाता है। मान्यतानुसार श्री पुष्कर तालाब के जल को श्रद्धा भावना से ग्रहण करने से शिव भक्ति की प्राप्ति होती है। त्रिदेवों श्री ब्रह्मा, विष्णु, महेश में से ब्रह्मा जी तथा भगवान शिव के इस तीर्थ के निकट मां अंबिका जी का मंदिर है, जिसे देवी के 51 शक्तिपीठों में शुमार किया जाता है। इन्हीं कारणों से इस महान तीर्थ को तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है। भारत तथा सारे ही उपमहाद्वीप के सभी प्राचीन शहरों में इस शहर का भी शुमार किया जाता है हालांकि आज भी यहां की आबादी एक लाख से भी कम है।

 

हिन्दू धर्म की पुनर्जागृति के महान उद्देश्य से किए गए अपने भारत भ्रमण के दौरान श्री आदि शंकराचार्य जब यहां आए तो इतने बड़े तीर्थ में बने मंदिर को जीर्ण-शीर्ण अवस्था में देखा। आदि शंकराचार्य ने ही इस स्थान पर आकर्षक मंदिर बनाने तथा पुन:निर्माण की व्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान डाला। श्री पुष्कर राज तीर्थ की प्रचलित प्रथाओं में से एक प्रथा यह भी है कि इस मंदिर के मूल गर्भगृह में गृहस्थ (विवाहित) पुरुषों का प्रवेश निषेध है। गृहस्थ पुरुष दूर रह कर मंदिर प्रांगण में दूर से ही भगवान ब्रह्मा की पूजा इत्यादि कर सकते हैं। यह स्थान भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में लाखों सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है, जो यहां प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के दर्शन तथा मानसिक शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से आते हैं। यहां आयोजित किया जाने वाला विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला अपने रंगों तथा भव्यता के लिए सारे संसार में डंका बजाता है और यह विश्व में ऊंटों का सबसे बड़ा मेला भी है।

—रजनीश खोसला

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