Edited By ,Updated: 28 Jan, 2016 11:51 AM
भारत में शनि देव के दो मुख्य धाम हैं एक मथुरा के समीप स्थित कोकिला वन और दूसरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अवस्थित शिंगणापुर धाम।
भारत में शनि देव के दो मुख्य धाम हैं एक मथुरा के समीप स्थित कोकिला वन और दूसरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में अवस्थित शिंगणापुर धाम। दोनों धामों में से शिंगणापुर का खास महत्व है। सदियों पहले हैरतअंगेज जादू की तरह शनि देव का विग्रह यहां लाया गया था।
वर्षों पूर्व शिंगणापुर में घोर वर्षा हुई थी। शिंगणापुर चारों ओर से जल मग्न हो गया बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने को थी। इस दौरान एक रात शनिदेव एक गांववासी के स्वप्न में आए और उससे कहा, मैं इस समय पानस नाले में विग्रह रूप में निवास कर रहा हूं। मुझे उठाकर अपने गांव में स्थापित करो। विग्रह के गांव में आते ही सुख-समृद्धि की लहर आ गई।
शिंगणापुर गांव में निवास करने वाले औसतन तीन हजार लोग न तो घर में दरवाजा लगाते हैं और न ही ताले बस अपनी गोपनियता बनाए रखने के लिए पर्दे लगा कर रखते हैं।
छाया पुत्र शनिदेव को अपनी मां के अतिरिक्त किसी की छाया नहीं भाति तभी तो यहां कोई भी छत्र अथवा चारदीवारी बनाने पर स्वयं ही नष्ट हो जाता है। शिंगणापुर में शनि देव के विग्रह के समीप एक नीम का पेड़ है। मान्यता है की जब भी इसकी शाखा बढ़ कर विग्रह पर छाया करने लगती है तब प्रकृति रूप से शाखा सूख अथवा टूट कर नष्ट हो जाती है।
शिंगणापुर विश्व का एकमात्र ऐसा धाम है जहां तेलाभिषेक करने से शनि संबंधित सभी विकार समाप्त हो जाते हैं। महिलाएं यहां तेलाभिषेक नहीं करती, पुरूषों के लिए गीली केसरिया रंग की धोती पहनना जरूरी होता है।