श्रीब्रह्मा का इकलौता मंदिर, सरोवर में डुबकी लगाने पर मिलती है जन्म चक्र से मुक्ति

Edited By ,Updated: 26 Sep, 2016 08:51 AM

sribrhma mandir

जयपुर से 150 किलोमीटर की दूरी पर पुष्कर तीर्थ स्थित है। पुष्कर तीर्थ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे भारत में सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा

जयपुर से 150 किलोमीटर की दूरी पर पुष्कर तीर्थ स्थित है। पुष्कर तीर्थ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे भारत में सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा का यह इकलौता मंदिर है। दूर तक फैले पवित्र ब्रह्म सरोवर के दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस सरोवर में डुबकी लगाने से जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। जीवन में सुख-समृद्धि होती है। 

 

यहां लोग स्नान करके पुण्य प्राप्त करने ही नहीं अपितु पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करने भी आते हैं। इस स्थान को पौराणिक मान्यताओं में मृत्यु लोक के सबसे बड़े पवित्र तीर्थों में से एक माना गया है। इसी कारण पितृपक्ष में बहुत संख्या में लोग पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए पूर्ण विधि-विधान से पिडंदान व तर्पण करते हैं।

 

कहा जाता है कि चार धामों के दर्शन करने के बाद अगर कोई श्रद्धालु पुष्कर आकर ब्रह्म सरोवर में स्नान न करे तो उसका सारा पुण्य नष्ट हो जाता है। यहां आकर सरोवर में डुबकी लगाने के पश्चात ही उसकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है। 

 

पुष्कर में पूजा-पाठ की प्रक्रिया ब्रह्म मुहूर्त से ही आरंभ हो जाती है। गऊ घाट में सर्वप्रथम सुबह की आरती होती है। आरती के पश्चात ब्रह्मा जी का दुग्धाभिषेक किया जाता है। दुग्धाभिषेक के बाद परिसर मंत्रों की पावन ध्वनि की गूंज उठता है। उसके बाद भक्त ब्रह्मा जी की 4 सिर वाली प्रतिमा के दर्शन करते हैं। यहां पर केवल ब्रह्मा जी के दर्शन किए जाते हैं। मंदिर के अंदर पूजा करना मना है। 

 

ब्रह्मा जी के दर्शनों के पश्चात मां सरस्वती के दर्शन अवश्य किए जाते हैं। मां सरस्वती का मंदिर थोड़ी दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है। कहा जाता है कि मां सरस्वती के दर्शन के बिना परमपिता ब्रह्मा की पूजा अधूरी मानी जाती है। 
 

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