Edited By ,Updated: 13 May, 2016 09:45 AM
प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हालिया पंचवर्षीय योजना के बाद, 15 साल के अधिक विस्तृत समय के विजन से बदलने का फैसला लिया है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हालिया पंचवर्षीय योजना के बाद, 15 साल के अधिक विस्तृत समय के विजन से बदलने का फैसला लिया है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आर्थिक नीतियों की देन पंचवर्षीय योजनाएं, अब जल्द ही इतिहास बन सकती हैं। फिलहाल चल रही 12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि अगले साल (2017) मार्च में पूरी हो रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि सरकार के इस विजन को एक पॉलिसी में बदलने के लिए अगले वित्त वर्ष से एन.डी.ए., नैशनल डिवेलपमेंट अजेंडा के तहत 7 साल की रणनीति तैयार करेगी। पंचवर्षीय योजनाओं के क्षेत्रों में इजाफा करते हुए यह अजेंडा सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों के साथ-साथ रक्षा और आंतरिक सुरक्षा को भी शामिल करेगा।
नैशनल डिवेलपमेंट अजेंडा की हर 3 साल में समीक्षा की जाएगी। इसका पहला मध्यावधि मूल्यांकन 2019-20 में होगा। इस दौरान ही अगले फाइनैंस कमीशन अवॉर्ड लागू किया जाएगा और नई लोकसभा भी चुनी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, इस अजेंडे को फाइनैंस कमीशन के साथ जोड़कर, सरकार फाइनैंशल संसाधनों की उपलब्धता आश्वस्त करना चाहती है। राज्यों और स्थानीय इकाइयों के साथ हर 5 साल में केंद्र के टैक्स रिवेन्यू के बंटवारे का जिम्मा फाइनैंस कमीशन को सौंपा गया है।
मोदी सरकार ने 2 साल पहले सत्ता संभालने के बाद योजना आयोग को समाप्त कर दिया था, जिसकी स्थापना नेहरू ने ही 1950 में की थी। मोदी सरकार ने इसे नीति आयोग से बदल दिया और अब यह प्लानिंग के लिए फंड मुहैया कराने की प्रक्रिया में शामिल नहीं है। इतना ही नहीं पिछले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्लानिंग और नॉन प्लानिंग फंडिंग में अंतर न रखने की भी बात कही थी। विजन डॉक्युमेंट की तैयारी का जिम्मा नीति आयोग का ही होगा।