26 जनवरी को इन बच्चों के जज्बे को देश करेगा सलाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 12:09 PM

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वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने तथा अपने प्राण जोखिम में डालकर औरों की जान बचाने वाले 18 बच्चों को इस ...

नई दिल्ली : वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय देने तथा अपने प्राण जोखिम में डालकर औरों की जान बचाने वाले 18 बच्चों को इस वर्ष राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इनमें 3 बच्चों को मरणोपरांत पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।  पुरस्कारों की श्रेणी में इस बार भारत पुरस्कार के लिए उत्तर प्रदेश की नाजिया को चुना गया है। गीता चोपड़ा पुरस्कार कर्नाटक की नेत्रावती एम. चवान को मरणोपरांत दिया जाएगा। इसी प्रकार अमृतसर के करणबीर सिंह को संजय चोपड़ा पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। मेघालय के बेट्सवजान पेइंगलांग, ओडिशा की ममता दलई और केरल के सेबस्टियन विनसेंट को बापू गैधानी पुरस्कार दिया जाएगा। वीरता पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में लक्ष्मी यादव (छत्तीसगढ़), कुमारी मनशा, शांगपोन कोनयक एवं चिंगाई वांगसा (सभी नागालैंड), समृद्धि सुशील शर्मा (गुजरात), एफ. लालछंदमा (मरणोपरांत) और जोनुन्तुलंगा (दोनों मिजोरम), पंकज सेमवाल (उत्तराखंड), नादफ एजाज अब्दुल रऊफ (महाराष्ट्र), कुमारी लोउक्राकपम चानू (मरणोपरांत) (मणिपुर) तथा पंकज कुमार महंता (ओडिशा) शामिल हैं।

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आईएएस बनना चाहती है नादिरा (भारत पुरस्कार) 
आगरा जिले के मंटोला क्षेत्र में कई सालों से जुए के अड्डे चल रहे थे, जिससे वहां के दुकानदार और निवासी बहुत परेशान थे, लेकिन किसी में बोलने की हिम्मत नहीं थी। मुझे जुआ और सट्टे के खिलाफ बोलना था पर मां रोक देती थी, बोलती थी कि जमाना खराब है तुझे क्या मतलब इन सब चीजों से, तू अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। पर मैने हार नहीं मानी 40 साल से चल रहे गोरखधंधे को बंद करने के लिए मैं प्रयास करने लगी, इस दौरान मुझे बहुत डराया-धमकाया गया, स्कूल जाते समय मेरा पीछा किया गया, जान से मारने की धमकियां मिलीं, पर मैंने हार नहीं मानी और आखिर में मुझे जीत मिली। पुलिस ने सूचना पर आकर 4 लोगों को गिरफ्तार किया। मैं अभी बीए फस्र्ट ईयर में हूं और आईएस बनना चाहती हूं।

 

देश सेवा के लिए ज्वाइन करूंगा पुलिस : करनबीर सिंह (संजय चोपड़ा पुरस्कार) 
20 सिंतबर को कुछ बच्चों को लेकर बस स्कूल से लौट रही थी, चालक तीव्र गति से गाड़ी चला रहा था, अटारी गांव के पास गाड़ी दीवार से टकराकर गहरे नाले में गिर गई। बस के पलट जाने से सभी छात्र-छात्राओं का पानी में दम घुटने लगा। गर्दन तक पानी में डूबे हुए करनबीर ने साहस दिखाते हुए बस का शीशा तोड़ दिया और एक-एक करके 15 बच्चों को डूबती बस से बाहर निकाला।  7 बच्चों को नहीं बचाया जा सका। अपने अदम्य साहस की बदौलत करनबीर सिंह को संजय चोपड़ा पुरस्कार के लिए चुना गया है। 10वीं कक्षा के छात्र करनबीर सिंह बड़े होकर देश सेवा करना चाहते हैं। उनका कहना है वह पुलिस ऑफिसर बनेंगे।

 

 

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